नई दिल्ली: चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने 384,000 किमी की यात्रा के बाद चंद्रमा के अंधेरे हिस्से पर ऐतिहासिक लैंडिंग कर भारत को यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बना दिया है। इसके बाद बधाई और शुभकामनाओं का सिलसिला चल पड़ा है। लेकिन, सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी कांग्रेस के बधाई संदेशों में काफी अंतर देखने को मिला। सोशल मीडिया पर यह अहम घटना चर्चा का विषय बन गई। जबकि भाजपा ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों को बधाई दी, वहीं, देश की सबसे पुरानी पार्टी का ध्यान बुधवार की अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए भारत के पहले प्रधान मंत्री, जवाहरलाल नेहरू और उनकी विरासत को श्रेय देने पर रहा। बुधवार को शाम 6:04 बजे जैसे ही चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड हुआ, भाजपा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर अपने मुख्य हैंडल से एक बधाई सन्देश पोस्ट किया, जिसमे लिखा था कि, 'बधाई हो इसरो को! भारत गर्व से सातवें आसमान पर है।' इसमें चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर की एक छवि थी। वहीं, कांग्रेस की पहली पोस्ट बिल्कुल विपरीत थी। इसमें कहा गया था कि, 'चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर ISRO सहित सभी देशवासियों को बधाई। भविष्य में अंतरिक्ष अनुसंधान की आवश्यकता को देखते हुए पंडित नेहरू ने इसरो की नींव रखी। यह उनकी दूरदर्शिता का ही परिणाम है कि आज भारत अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में पूरे विश्व में नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।' अंतर स्पष्ट था - दूसरा श्रेय का दावा कर रहा था, जबकि दूसरा उस संगठन के लिए एक इच्छा मात्र था जिसने 1।4 अरब भारतीयों को गौरवान्वित किया। जल्द ही कांग्रेस का सोशल मीडिया प्रचार नेहरू-केंद्रित हो गया। एक्स पर एक अन्य पोस्ट एक ग्राफिक कार्ड था, जिसमें नेहरू का चित्र था, जिसमें बताया गया था कि कैसे ISRO, मूल रूप से INCOSPAR, की स्थापना "1962 में पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा की गई थी"। इसमें 1975 में आर्यभट्ट उपग्रह से लेकर 2013 में मंगलयान मिशन तक की गाथा को सूचीबद्ध किया गया है - यह सुझाव देते हुए कि बुधवार की उपलब्धि कांग्रेस शासन के दौरान किए गए जमीनी कार्य से एक प्रगति थी। पोस्ट बिल्कुल स्पष्ट थी कि, 'यह स्वतंत्र भारत के पहले पीएम, जवाहरलाल नेहरू थे, जिनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण और दृष्टि ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान की नींव रखी।' एक अन्य पोस्ट में 3 मिनट 12 सेकंड लंबा एक ऑडियो-विजुअल है, जिसे कांग्रेस ने पोस्ट किया था, जिसने एक बार फिर उसी बिंदु पर जोर दिया- चंद्रयान -3 की सफलता नेहरू की "दृष्टिकोण" के कारण है। एंकर को यह कहते हुए सुना जाता है कि, 'पंडित नेहरू के पास दूरदृष्टि थी, दूरदर्शिता थी।' इसमें 1984 के दृश्य भी दिखाए गए हैं जिसमें तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा से पूछ रही थीं कि, 'ऊपर से भारत कैसा दिखता है आप को?' पूरी पोस्ट का शीर्षक है 'ISRO की यात्रा = नेहरू जी के दृष्टिकोण की यात्रा।' चंद्रयान-3 की सफलता के लिए भाजपा के सोशल मीडिया पोस्ट में दो लोगों के बयान थे: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा। एक पोस्ट में पीएम मोदी का दक्षिण अफ्रीका से ISRO चीफ एस सोमनाथ को फोन करने का वायरल वीडियो दिखाया गया। एक अन्य पोस्ट में ISRO वैज्ञानिकों को दिए गए पीएम मोदी के संक्षिप्त संबोधन का एक अंश लिया गया, जहां उन्होंने उस क्षण को "ऐतिहासिक" और "नए भारत का उत्सव" बताया। वहीं, भाजपा चीफ नड्डा ने बताया कि चंद्रयान-2 के उतरने में विफलता के बाद भारत ने कैसे बदलाव किया। उन्होंने वैज्ञानिकों और "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व" को समान रूप से धन्यवाद दिया। इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ISRO के वैज्ञानिकों और सभी हितधारकों के कौशल को सलाम करते हुए कहा कि बुधवार का आउटपुट "पंडित जवाहरलाल नेहरू के दृष्टिकोण का परिणाम" था। उन्होंने "अन्य प्रधानमंत्रियों" के योगदान को भी याद दिलाया, जिनके समय में आर्यभट्ट और राकेश शर्मा के सोवियत नेतृत्व वाले अंतरिक्ष मिशन किए गए थे। भारत की 'चन्द्रविजय' ! ISRO ने की चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग, ये उपलब्धि पाने वाला दुनिया का पहला देश हिंदुस्तान हेट स्पीच मामले में आज़म खान को नहीं देना होगा अपनी आवाज़ का नमूना! लोअर कोर्ट के आदेश पर लगी 'सुप्रीम' रोक APJ अब्दुल कलाम की एक सलाह से शुरू हुआ था भारत का मिशन मून, चंद्रयान-1 के समय ISRO कार्यालय पहुंचे थे राष्ट्रपति