देवउठनी एकादशी को ब्रह्म मुहूर्त में करें इन 3 मंत्रों का जाप, मिलेगा भारी फायदा

प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की एकादशी को देवउठनी एकादशी का त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों में इस दिन का बहुत विशेष महत्व बताया गया है। देवउठनी एकादशी पर प्रभु श्री विष्णु योग निद्रा से जागते हैं तथा चातुर्मास समाप्त होता है। इसका मतलब है कि चार महीने से बंद पड़े शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। वही इस बार देवउठनी एकादशी 12 नवंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन कुछ उपाय करने पर हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल मिलता है।

इन 3 मंत्रों का जाप करें देवउठनी एकादशी के दिन सूर्योदय के समय स्नान-ध्यान करके प्रभु श्री विष्णु के वैदिक मंत्रों—ॐ विष्णवे नम:, ॐ अं वासुदेवाय नम:, ॐ नारायणाय नम:, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय—का जाप करना चाहिए। इस जाप से प्रभु श्री विष्णु  मनवांछित फल प्रदान करते हैं, साथ ही माता लक्ष्मी धन की वर्षा करती हैं। देवउठनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में प्रभु श्री विष्णु के मंत्रों का जाप करना विशेष फलदायी होता है।

हजार अश्वमेध यज्ञ का फल मिलेगा देवउठनी एकादशी के दिन सूर्योदय के समय स्नान-ध्यान करने के बाद प्रभु श्री विष्णु के मंत्रों का जाप करने के बाद, शंख में गाय का दूध भरकर उससे प्रभु श्री विष्णु का अभिषेक करने पर हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल मिलेगा। ऐसा करने पर प्रभु श्री विष्णु की कृपा से जन्म-जन्मांतर के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं तथा जीवन में एक नई सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होने लगता है।

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