इस बार दिवाली से पहले मतलब धनतेरस पर पुष्य नक्षत्र का योग बनने जा रहा है. दरअसल, दिवाली 12 नवंबर की है तथा धनतेरस 10 नवंबर की है. पुष्य नक्षत्र प्रातः 07 बजकर 57 मिनट से है तथा यह प्रातः 10 बजकर 29 मिनट तक है. साथ ही शनि पुष्य योग धनतेरस वाले दिन प्रातः 7:57 मिनट से लेकर रात तक है. रवि पुष्य योग प्रातः 10:29 मिनट से लेकर पूरे दिन रहेगा. साथ ही अष्ट महायोग में हर्ष, सरल, शंख, लक्ष्मी, शश, साध्य, मित्र और गजकेसरी भी बनेंगे जो बेहद शुभ माने जा रहे हैं. धनतेरस, जिसे धन्वंतरि जयंती या धनत्रयोदशी या धन्वंतरि त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन धन की देवी लक्ष्मी दूध मंथन के चलते समुद्र से प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। द्रिकपंचांग के मुताबिक, धनत्रयोदशी के दो दिन बाद अमावस्या को की जाने वाली लक्ष्मी पूजा ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है। धन तेरस पूजा विधि:- अपने पूजास्थल में चावल या गेहूं की एक छोटी ढेरी बनाकर उस पर देसी घी का एक दिया जलाकर रखें फिर माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए तीन बार श्रीसूक्त का पाठ करें। मां लक्ष्मी समेत सभी देवी-देवताओं को मिठाई या मीठे व्यंजन का भोग लगाएं तथा फिर इसे परिवार सहित प्रसाद रूप से ग्रहण करें। इससे मां लक्ष्मी की कृपा होगी तथा आपके जीवन में समृद्धि बढ़ेगी। धनतेरस के दिन इस मंत्र का करें जाप, हो जाएंगे धनवान:- मंत्र 1 ॐ महालक्ष्म्यै नमो नम: मंत्र 2 ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय. मंत्र 3 ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवा य धन्वंतराये: आरती उतारें पूजा का समापन में तीनों देव की आरती उतारें, इन उपायों से जिंदगी भर पैसें बरसेंगे. पादरी के प्रभाव में आकर बन गए थे ईसाई, अब 310 लोगों ने 'सनातन धर्म' में की घर वापसी दिल्ली के इन बाजारों में मिल रही हैं लक्ष्मी-गणेश की फैंसी मूर्तियां, बस देने होंगे इतने रुपए भारत का सांस्कृतिक रत्न: पद्मनाभस्वामी मंदिर की कालातीत सुंदरता