जातक को यदि जन्म पत्रिका में राहु-केतु तथा शनि से पीड़ा है अथवा ग्रहण योग है तो उन्हें गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए. ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को देवी गायत्री का अवतरण माना जाता है. इस दिन को गायत्री जयंती के रूप में मनाते है. गायत्री मंत्र दुनिया का सबसे शक्तिशाली मंत्र माना जाता है. इस दिन गायत्री मंत्र का जप करने से मनोकामनाएं पूरी की जा सकती है. किसी जातक को यदि जन्म पत्रिका में राहु-केतु तथा शनि से पीड़ा है अथवा ग्रहण योग है जो जातक मानसिक रूप से विचलित रहते है जिनको मानसिक शांति नहीं मिल रही हो तो उन्हें गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए. गायत्री मंत्र जप के लिए सुबह का समय श्रेष्ठ होता है. इसका उच्चारण करने से पहले स्नान कर मन और आचरण पवित्र रखें. चटाई का आसान बिछाएं. तुलसी या चन्दन की माला का उपयोग करें. ब्रह्ममुहूर्त में पूर्व दिशा की ओर मुख करके गायत्री मंत्र जप करें. वहीँ शाम को पश्चिम दिशा में मुख रखें. शनिवार के दिन नमक खरीदने से हो सकता है दोष चमत्कारी है प्रतापगढ़ का शनि मंदिर