अमृतसर: पंजाब में कांग्रेस की चरणजीत सिंह चन्नी सरकार को आखिरकार नवजोत सिद्धू के आगे झुकना ही पड़ा। मंगलवार को चन्नी सरकार ने DGP और एडवोकेट जनरल (AG) को हटाने का फैसला ले लिया। सिद्धू ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कुर्सी पर चाहे कोई भी बैठा हो, लेकिन पंजाब में उनकी ही चलने वाली है। इस वाकये ने कांग्रेस की 2013 की वो घटना ताजा कर दी, जिसमें राहुल गांधी ने तत्कालीन पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार का अध्यादेश फाड़ दिया था। जब यह वाकया हुआ तो PM डॉ. सिंह अमेरिका प्रवास पर थे। उसके बाद ही देश में यह चर्चा शुरू हो गई थी कि डॉ. सिंह PM अवश्य हैं, किन्तु शासन तो गांधी परिवार का ही है। पंजाब में भी कुछ ऐसे ही हालात बनते दिखाई दे रहे हैं। सीएम पोस्ट पर चरणजीत चन्नी जरूर हैं, किन्तु काम वही हो रहा है जो सिद्धू चाहते हैं। इसको लेकर अब विरोधी दल भी हमला करने से नहीं चूक रहे। विरोधियों का कहना है कि असली सीएम सिद्धू हैं, चरणजीत चन्नी को कांग्रेस ने रबर स्टैंप बना डाला है। बता दें कि सिद्धू भी बिल्कुल राहुल गांधी के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। वर्ष 2013 में केंद्र में UPA की सरकार थी और डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। उस समय राहुल गांधी ने मनमोहन सरकार का एक अध्यादेश फाड़ डाला था। राहुल ने अध्यादेश को पूरी तरह बकवास बताया था। उस दौरान मनमोहन अमेरिका दौरे पर न्यूयॉर्क में थे। राहुल गांधी के इस रवैए से आहत डॉ. सिंह पीएम पद से इस्तीफा देने तक का मन बना चुके थे। राहुल के अध्यादेश फाड़ने को प्रधानमंत्री की गरिमा कम करने से जोड़कर देखा गया था। यह भी कहा गया था कि गांधी परिवार के लिए प्रधानमंत्री कोई मायने नहीं रखता, मनमोहन सिंह को कांग्रेस और सोनिया गाँधी ने कठपुतली बनाकर रख दिया है। योजना आयोग (अब नीति आयोग) के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने अपनी पुस्तक ‘बैकस्टेज: द स्टोरी बिहाइंड इंडिया हाई ग्रोथ ईयर्स’ में भी इसका उल्लेख किया था। 'AG-DGP चाहिए या मैं ?' सिद्धू ने पंजाब सरकार को फिर दिया अल्टीमेटम इस्तीफा वापस लेते ही सिद्धू ने दिखाए अपने तेवर, अपनी ही सरकार के कामों पर उठाए सवाल माता-पिता संग तेजस्वी ने दिल्ली में मनाया अपना जन्मदिन, लालू यादव ने बेटे के नाम लिखा ये खास पत्र