आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी शुरू होने के साथ ही श्रीहरि अर्थात लक्ष्मीपति श्री विष्णु क्षीरसागर स्थित शेषशय्या पर गहन निद्रा में लीन हो जाते हैं. इसके बाद कोई भी शुभकार्य नहीं किये जाते हैं. एक अन्य प्रसंग के अनुसार चातुर्मास के इन दिनों भगवान विष्णु राजा बलि के यहां चार मास तक के लिए प्रस्थान कर जाते हैं. इस घड़ी को देवशयनी एकादशी कहते हैं. कहीं-कहीं इसे हरिशयनी एकादशी तो कहीं पद्मा एकादशी और कहीं पद्मनाभा एकादशी के नाम से भी पुकारा जाता है. इसका बहुत महत्व होता है. बता दें, इस वर्ष देवशयनी एकादशी 12 जुलाई 2019 को पड़ रहा है. वहीं मान्यतानुसार इसी दिन से गृहस्थ लोगों के लिए चातुर्मास के नियमों का पालन करना पूरी आस्था और गंभीरता से करना शुरू हो जाता है. देवशयनी की घड़ी शुरू होते ही हिंदू घरों में कोई भी मंगल कार्य- जैसे विवाह, नवीन गृहप्रवेश आदि नहीं किए जाते. आज हम बताने जा रहे हैं कि ऐसा क्यों होता है. दरअसल, सनातन धर्म के लगभग हर प्रसंगों एवं वेदों में उल्लेखित घटनाक्रमों को समय-समय पर विज्ञान ने भी स्वीकारा है. चातुर्मास के संदर्भ में भी जो बातें वर्णित हैं, विज्ञान द्वारा मान्य हैं. एक बार चातुर्मास के दिनों में आप केवल सत्य और सात्विकता का रास्ता अपना कर देखें तो आपको स्वयं के भीतर एक दिव्य शक्ति का आभास होगा. इसीलिए विद्वान संत महात्मा बताते हैं कि चातुर्मास के इन दिनों सभी को ईश्वर की भक्ति में लीन रहना चाहिए. वैज्ञानिक मतों के चातुर्मास के दिनों में बदलते मौसम के कारण शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है. इसके संतुलन के लिए व्रत, पूजा-पाठ इत्यादि लाभदायक माना जाता है. दरअसल ये चार माह ऐसी घड़ी में पड़ते हैं जब विभिन्न कारणों से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ता है और सकारात्मकता एवं शुभ शक्तियां कमजोर पड़ने लगती हैं. किसी भी शुभ मंगल कार्यों में नकारात्मक शक्तियों के प्रभावी होने से ज्यादातर कार्य बिगड़ते हैं. नकारात्मक शक्तियों को क्षीण करने के लिए एकमात्र आध्यात्मिक शक्तियां ही कारगर साबित होती हैं. देवशयनी एकादशी व्रत मुहूर्त: 12 जुलाई 2019 (शुक्रवार) एकादशी तिथि प्रारम्भः मध्य रात्रि 01:02 बजे (12 जुलाई 2019) एकादशी तिथि समाप्तः मध्य रात्रि 12:31 बजे (13 जुलाई 2019) देवशयनी एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये 11 काम.. देवशयनी एकादशी पर मिल रहा 3 शुभ योगों का साथ...