चेन्‍नई: जाहिर है कोरोना महामारी और उसके चलते हुए लॉकडाउन ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. लंबे समय के लॉकडाउन ने कई प्रकार की चुनौतियां पैदा कर दी हैं. किन्तु इन हालातों ने रिसर्च में लगे लोगों को कुछ नया और तेजी से करने के लिए प्रेरित भी किया है. ऐसा ही एक क्षेत्र है 3डी प्रिंटिंग का. कोरोना महामारी से लड़ने के लिए निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की जरूरत बहुत अधिक है क्‍योंकि यही वो चीजें हैं जो फ्रंटलाइन में जुटे हमारे योद्धाओं को इस वायरस के अटैक से सुरिक्षत रख सकती हैं. जाहिर है पूरी दुनिया में इनकी डिमांड बढ़ने से जमाखोरी और कालाबाजारी करने की खबरें मीडिया में भी आईं. किन्तु इसी बीच मार्च के मध्‍य में 3 डी प्रिंटिंग से फेस शील्‍ड बनाने का प्रयोग आरंभ हुआ, जिसने कई देशों को उत्‍साह से भर दिया. यूरोप के कुछ देशों में कंपनियों ने 3 डी प्रिंटिंग से फेस शील्‍ड तैयार किए, जिनका इस्तेमाल स्‍वास्‍थ्‍य कर्मचारियों ने मास्‍क के ऊपर किया. भारत के चेन्नई के सुरेंद्रनाथ रेड्डी ने भी यह काम किया है. उनकी कंपनी 3 डिंग 3 डी प्रिंटर बनाती है और उन्हें पूरे भारत में सप्लाई करती है. रेड्डी 3 डी प्रिंटर से फेस शील्ड निर्मित कर रहे हैं और और स्वास्थ्य पेशेवरों, पुलिस में बांट भी रहे हैं. फेस शील्‍ड के अलावा, कंपनी ने स्प्लिटर्स भी बनाए हैं जिनका इस्तेमाल जीवन रक्षक उपकरणों जैसे वेंटिलेटर पर किया जा सकता है. इसकी सहायता से एक वेंटिलेटर का उपयोग दो या चार मरीजों के लिए किया जा सकता है. कोरोना : मंत्रियों के समूह की बैठक जारी, थम सकता है कोरोना प्रसार शेयर बाजार की शानदार शुरुआत, सेंसेक्स में 990 अंकों की बढ़त RBI ने की रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती, गवर्नर दास ने किया ऐलान