जब भी हिंदुस्तान के इतिहास और यहां के राजाओं की बात होती है तब छत्रपति शिवाजी का नाम जरूर लिया जाता है आज पूरा देश शिवाजी की 389 वीं जयंती बड़ी धूम-धाम से मना रहा है और इसी के साथ आज हम आपको शिवाजी के उस मालवा दौरे के बारे में बता रहे है जब वे आगरा से महाराष्ट्र जाते हुए कुछ दिनों के लिए अपने गुरु के साथ इंदौर में ठहरे थे. आखिर क्यों नंदी के कान में कहने से पूरी हो जाती है मनोकामना इस मंदिर में रहे थे छत्रपति शिवाजी इतिहासकारों की माने तो मुगल शासक औरंगजेब ने एक बार धोखे से छत्रपति शिवाजी को कैद कर लिया था. इसके बाद जब शिवाजी को गुप्त रूप से कैद से छुड़वाया गया तब वह कुछ दिन इंदौर में भी रहे थे .बताया जाता है कि शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास स्वामी ने जब छत्रपति को आगरा से छुड़वाया था तो वो महाराष्ट्र जाने के लिए मालवा से होते हुए गए थे. इस दौरान वह कुछ दिनों तक इंदौर के प्राचीन दत्त मंदिर और खंडवा के खेड़ापति हनुमान मंदिर में भी रहे थे. आपको बता दें इंदौर में यह दत्त मन्दिर वर्तमान में कृष्णपुरा में स्थित हैं। यहाँ जानिए रथ आरोग्य सप्तमी से जुडी दो पौराणिक कथाएं सम्पूर्ण राष्ट्र में फहराई थी विजय पताका छत्रपति शिवाजी एक अत्यंत ही बुद्धिमानी राजा थे और उन्हे यह कतई मंजूर नहीं था की लोग जात पात के झगड़ों में उलझे रहे. वह किसी भी धर्म के खिलाफ नही थे. बताया जाता है कि शिवाजी का नाम भगवान शिव के नाम से ही लिया गया है। वही छत्रपति शिवाजी माँ भवानी को भी मानते थे. इतिहास में बताया जाता है कि शिवाजी को युद्ध लड़ने के लिए तलवार भी माँ भवानी ने ही स्वयं प्रकट होकर दी थी। बता दें छत्रपति शिवाजी ने उत्तर से दक्षिण तक अपनी विजय पताका फहराने में सफलता प्राप्त की थी. कलयुग में सच हो रही है बालि द्वारा बताई गई यह 3 खास बातें सुंदर और बुद्धिमान संतान के लिए जरूर करें भीष्म अष्टमी का व्रत धर्म ग्रंथों में ऐसा है माँ नर्मदा का उल्लेख, एकमात्र नदी जिसकी की जाती है परिक्रमा