रायपुर: छत्‍तीसगढ़ में आखिरी चरण के लिए जिन 72 सीटों के लिए मतदान हो रहा है, उनमें सबसे अधिक दांव बीजेपी का लगा हुआ है। जानकारी के अनुसार बता दें कि ऐसा इसलिए क्‍योंकि पिछली बार छत्‍तीसगढ़ के मैदानी इलाकों की इन सीटों से बीजेपी ने सर्वाधिक 43 सीटें जीती थीं और अब यह इसलिए भी अहम है क्‍योंकि राज्‍य की कुल 90 सीटों में से 2013 में बीजेपी को 49 सीटें मिली थीं। इससे समझा जा सकता है कि बीजेपी का पूरा वोटबैंक कमोबेश इसी अंचल में है। छत्तीसगढ़ चुनाव 2018: राज्य में 72 सीटों पर 10 बजे तक 12.54 प्रतिशत हुआ मतदान यहां बता दें कि इस बार छत्‍तीसगढ़ चुनाव में मुकाबला केवल बीजेपी और कांग्रेस के बीच नहीं हैं बल्कि पूर्व मुख्‍यमंत्री अजीत जोगी ने छत्‍तीसगढ़ जनता कांग्रेस जेसीसीजे के नाम से नया दल बनाकर और मायावती की बीएसपी के साथ गठबंधन कर पूरी चुनावी लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है। बता दें कि इस दूसरे चरण में ही अजीत जोगी और बसपा का प्रभाव है। दूसरी अहम बात यह है कि छत्‍तीसगढ़ में मामूली अंतर से जीत-हार होती है और ऐसे में अजीत जोगी का गठबंधन बाकी दोनों दलों के लिए बड़ी मुश्किल पैदा कर सकता है। छत्तीसगढ़ चुनाव 2018: पीठासीन अधिकारी के घर से पकड़ी गईं दो ईबीएम मशीन यहां बता दें कि चुनावी विश्‍लेषक इस बात के कयास भी लगा रहे हैं कि हो सकता है कि इस गठबंधन के कारण पहली बार छत्‍तीसगढ़ में किसी को पर्याप्‍त बहुमत नहीं मिल पाए और त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति उत्‍पन्‍न हो। उसका कारण यह है कि पिछली बार बीजेपी और कांग्रेस के बीच एक प्रतिशत वोटों का अंतर था और उसका नतीजा बीजेपी और कांग्रेस के बीच क्रमश: 49 और 39 सीटों के रूप में रहा। वोटों के लिहाज से यदि इस गणित को समझें तो 2013 में बीजेपी और कांग्रेस के बीच महज 97,574 वोटों या कहें कि 0.75 फीसद वोटों का ही अंतर था। इस बात से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अजीत जोगी के रूप में तीसरी ताकत के आने से किसी का भी खेल खराब हो सकता है और जोगी किंगमेकर बन सकते हैं। खबरें और भी छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 : राज्य की जनता आज तय करेगी राज्य का भविष्य मध्यप्रदेश चुनाव 2018: कमलनाथ ने कहा कांग्रेस सरकार करेगी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नियमित सत्यव्रत चतुर्वेदी पर सपा के लिए प्रचार करने का लगा आरोप, कांग्रेस ने पार्टी से निकाला