छत्तीसगढ़ चुनाव: इस बार भी नारी शक्ति को पूरा हक नहीं दे पाईं पार्टियां

रायपुर: देश में इस समय चुनावी समर चल रहा है और अब कुछ ही समय शेष रह गया है। चुनाव होने में ऐसे में सभी प्रत्याशी अपने अपने क्षेत्रों में पूरी ताकत के साथ प्रचार कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार बता दें कि नारी सशक्तीकरण और आरक्षण की वकालत करने वाली पार्टियों ने इस विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं के अधिकार पर डंडी मार दी है। बता दें कि राजनीतिक पार्टियों ने इस बार भी महिलाओं को प्रतिधित्व देने में कंजूसी की है। टिकट वितरण में 33 फीसद तो दूर पार्टियां ने उन्हें 16 फीसद टिकट भी नहीं दिया।

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यहां बता दें कि राष्ट्रीय दलों ने बमुश्किल 11 से 15 फीसदी ही टिकट दिए हैं। इसके बावजूद करीब 115 से अधिक महिलाओं ने इस बार विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमाया है। राज्य में महिलाओं के विधानसभा चुनाव लड़ने का यह सर्वाधिक आंकड़ा है। यहां बता दें कि अब तक के तीनों चुनाव में महिलाओं को टिकट देने में कांग्रेस, भाजपा से आगे रहती थी, लेकिन इस बार भाजपा ने 14 महिलाओं को टिकट दिया। वहीं इसके विपरीत कांग्रेस ने केवल 12 को प्रत्याशी बनाया है। वहीं बता दें कि बसपा के कोटे से पांच और जकांछ से तीन महिला प्रत्याशी मैदान में हैं। आम आदमी पार्टी ने भी आठ महिलाओं को टिकट दिया है।

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गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की मातृशक्ति मतदान के मामले में पुरुषों से ज्यादा जागरूक हैं। वहीं 20 नवंबर को राज्य की 72 सीटों पर हुए मतदान में करीब 27 सीटों पर महिलाओं ने पुरूषों से अधिक मतदान किया है। वहीं करीब दर्जनभर से अधिक सीटें ऐसी हैं, जहां पुरुष और महिलाओं के वोटिंग फीसदी में मामूली अंतर है।

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