ऐसे कई गांव और इलाके हैं जहां पर आदिवासी का इलाका होता है. यानि उन जगहों पर कई बार कोई जाता भी नहीं है. ऐसे ही आपको बता दें, पुराने समय में छत्तीसगढ़ को दक्षिण कोशल के नाम से जाना जाता था छत्तीसगढ़ को आदिवासियों का हाउस कहा जाता है. प्राचीन आदिवासी 10000 वर्षो से भी ज्यादा समय के लिए बस्तर में रह रहे थे. आज हम आपको छत्तीसगढ़ की कांगेर घाटी के बारे में बताने जा रहे है बस्तर मे कांगेर घाटी को जुलाई 1982 मे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया. चलिए आपको बता दें इसके बारे में. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में आपको प्रकृति एक ऐसे रूप के दर्शन होगें जिसे देखने के बाद आपकी आंखे फटी की फटी रह जाएगी. यानि अगर यहां आप चले जाएँ तो आपको कई सारी ऐसी जगहें मिलेंगी जिसे देखकर आप भी खुश हो जायेंगे. कांगेर घाटी के दर्शन करने पर ही आपको प्रकृति के सबसे सुखद दर्शन होगें. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ के जगदलपुर जिला से मात्र 27 किमी की दूरी पर स्थित है. यह उत्तर पश्चिम किनारे पर तीरथगढ जलप्रपात से शुरू होकर पूर्व मे उडिसा की सीमा कोलाब नदी तक फैली हुई है. इस नदी की चौडाई 6 किमी और लम्बाई 48 किमी है.यह 200 वर्ग किमी तक फैली हुई है. जिसकी सीमा 48 गाँवों से घिरी हुई है.इस राष्ट्रीय उद्यान मे कई प्रकार की वन प्रजातियां मिलती है इनमें साउथ दक्षिणी पेनिनसुलर मिक्स्ड डेसिहुअस बन, आर्ड सागौन, वन-इनमे साल, बीजा, साजा, हल्दु, चार, तेंदु कोसम, बेंत, बांस एवं कई प्रकार के औषधि युक्त पौधे मिलते है. छत्तीसगढ का राज्य पक्षी पहाडी मैना भी इसके अलावा यहां के घनें जंगलो मे आपको देखने को मिलेगा इसके अलावा यहां कई प्रकार की रंग-बिरंगी चिडिया भी आप आसानी से इधर उधर उडते हुए देख सकते है.इनमें भृगराज, उल्लू, वनमुर्गी, जंगल मुर्गा, क्रेस्टेड, सरपेंट इगल, श्यामा रैकेट टेल, ड्रांगो आदि प्रमुख है.यहां आकर आप को कई विचित्र प्राणी भी देखने को मिल सकते है. कपल के रोमांस के लिए ही बनाया गया है ये Secret Island तो बेहद फ़ायदेमंद है टॉयलेट फ्लश में दो बटन का होना ? लाभ जान लगेगा झटका इंसान तो क्या बड़े-बड़े जहाज भी गायब हो जाते हैं यहां, 100 साल से रहस्य बनी है यह जगह