रायपुर : लाभ का पद अब हर किसी को रास नहीं आ रहा है. ये पद जिसके लिए न जाने कितने पापड़ बेलने पड़े थे. अब गले की हड्डी बन गया है. ताजा नमूना दिल्ली की आप सरकार के साथ-साथ सारे देश ने देखा है. लाभ के पद के मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य कर दिया गया है. ये मामला यही नही रुका है. जब आग लगती है तो लपटे कहा-कहा पहुँचती है, ये आग की विकरालता पर निर्भर करता है. अब ये आग दिल्ली से होते हुए छत्तीसगढ़ और पुडुचेरी को भी झुलसा सकती है. वहां के विपक्षी दलों ने सरकार के नुमाइंदो के साथ यही कहानी दोहराये जाने की मांग कर दी है. छत्तीसगढ़ में विपक्षी कांग्रेस ने सोमवार को मांग उठाई कि बीजेपी के 11 विधायकों को संसदीय सचिव के 'पद पर होने के कारण' अयोग्य घोषित किया जाए. इस क्रम में कांग्रेस नेता मुहम्मद अकबर ने कहा, 'दिल्ली में की गई कार्रवाई से साबित हो गया है कि छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिवों के पद पर बीजेपी विधायकों की नियुक्ति भी असंवैधानिक है.लिहाजा आयोग को इन विधायकों के खिलाफ भी उसी तरह की कार्रवाई करनी चाहिए.' अकबर ने कहा कि इस मुद्दे पर उन्होंने पिछले साल छत्तीसगढ़ में याचिका दाखिल की थी और इन विधायकों की संसदीय सचिव पद पर नियुक्ति को रद्द करने की मांग की थी. अकबर ने कहा कि 2016 में उन्होंने निर्वाचन आयोग को भी इस मुद्दे पर लेटर भेजा था.' उधर पुडुचेरी में बीजेपी ने को कहा कि वह चुनाव आयोग के पास याचिका दाखिल कर मांग करेगी कि सत्तारूढ़ कांग्रेस और उसकी सहयोगी डीएमके के 8 विधायकों को 'लाभ के पद पर होने के कारण' अयोग्य घोषित किया जाए. आप देखना दिलचस्प होगा की आयोग किसकी सुनता है, किसे राष्ट्रपति मंजूरी देते है. क्यों की एक ओर बीजेपी है ओर दूसरे और कांग्रेस. ऐसे में यदि 'आप ' के मिली भगत वाले दावे सही है तो सरकार, चुनाव आयोग ओर राष्ट्रपति धर्म संकट में आ जायेंगे . रही 'लाभ' वाली बात तो देश के ज्यादातर नेता चाहे वो किसी दल से हो अपनी कुर्सी की पेटी बांध ले. डिजिटल छत्तीसगढ़ के लिए 1624 करोड़ का करार रमन सिंह सरकार कर रही है नासा की मदद से कृषि की उन्नति के प्रयास 671 करोड़ के निवेश से किसानो को खुशहाल करेंगे डा.रमन सिंह