छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी कहा जाता है। जी दरअसल नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। वहीं मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था और उसकी कैद से लगभग 16 हजार महिलाओं को आजाद कराकर उनकी रक्षा की थी। इस वजह से दिवाली के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। आपको बता दें कि इस पर्व में शाम के समय घर के द्वार पर यम देव के नाम का दीया जलाया जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि यम देव के नाम का दीपक जलाने से परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु नहीं होती है। सबसे खास बात यह है कि यम देव के नाम का दीपक घर के बुजुर्ग को चलाना चाहिए। हर साल शाम के समय घर के बुजुर्ग द्वार पर दीपक जलाते हैं, हालाँकि लेकिन ऐसा करने के पीछे की वजह क्या है? यह हम आपको बताते हैं। नरक चतुर्दशी की परंपरा- नरक चतुर्दशी की शाम में घर के द्वार पर दीपक जलाने की परंपरा है। इसे बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है घर के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति को छोटी दिवाली की शाम एक दीया जलाना चाहिए और पूरे घर में दीपक जलाकर घुमाना चाहिए। दीपक को घुमाते हुए बुजुर्ग घर के बाहर आ जाते हैं और कहीं दूर रख देते हैं। आज गुरूवार को जरूर पढ़े या सुने श्री विष्णु की यह कथा क्या कहते हैं इस दीपक को?- छोटी दिवाली के इस दीपक को यम का दीया कहते हैं। यह दीपक यम देव के नाम का होता है, जिनकी इस दिन पूजा से अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है। क्या है यम के दीया की पौराणिक कथा?- पौराणिक कथा के मुताबिक, यम देव ने अपने दूतों को अकाल मृत्यु से बचने का तरीका बताया था। उन्होंने कहा था कि जो व्यक्ति कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शाम के समय दीप प्रज्वलित करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। यम का दीया जलाने का नियम- कहा जाता है दीपक जलाकर पूरे घर में घुमाने के बाद बाहर कहीं दूर रख देना चाहिए। जी दरअसल माना जाता है कि इससे सभी बुराइयां घर से बाहर चली जाती हैं। सरसों का तेल का दीपक जलाएं और पुराना दीया इस्तेमाल करें। दिवाली पर जरूर पढ़े या सुने यह दो पौराणिक कथा धनतेरस के दिन क्यों करते हैं दीपदान, पढ़े पौराणिक कथा 22 अक्टूबर को है धनतेरस, दीपदान करने से नहीं होगी अकाल मौत