अपनी हेल्थ के लिए सभी परेशान रहते हैं. छोटी-छोटी बीमारी के लिए हमें अस्पताल जाना पड़ता है और जांच करवानी पड़ती है. ऐसे ही मलेरिआ की बात करें तो ये बीमारी जल्दी होती है जिसके लिए हमे हमेशा सावधान रहना पड़ता है. बता दें, इथिओपिया और स्वीडन के वैज्ञानिकों के अध्ययन के मुताबिक मलेरिया फैलाने वाले मच्छर चिकन और दूसरे पक्षियों से दूर भागते हैं. पश्चिमी इथिओपिया में किए गए एक शोध में मच्छरदानी में सोए हुए एक शख़्स के पास पिंजड़े में मुर्गी रखी गई. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अफ्रीका में पिछले साल मलेरिया से चार लाख लोगों की मौत हुई. इसके अलावा मलेरिया के पैरासाइट खून में फैलने से पहले लीवर में छुपे होते हैं. मलेरिया के मच्छर संक्रमित व्यक्ति का खून पीते हैं और फिर उस पैरासाइट को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाते हैं. इस बा की जानकारी 'मलेरिया जरनल' में प्रकाशित हुई जिसके शोध के अनुसासर वैज्ञानिक इस परिणाम पर पहुंचे हैं कि मच्छर अपना शिकार महक से ढूंढते हैं, तो हो सकता है कि मुर्गी की महक में कुछ ऐसा हो जो उन्हें पसंद न आता हो. दरअसल, इस शोध में शामिल अडीस अबाबा यूनिवर्सिटी के हाब्ते तेकी ने कहा कि मुर्गी की महक से कुछ रसायन निकालकर उसे मच्छर दूर रखने वाली क्रीम में इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि आगे के शोध के फील्ड ट्रायल किए जाएंगे. स्वीडिश यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइन्सेज के शोधकर्ता भी इस अध्ययन में शामिल थे. इस प्रयोग में मुर्गी के पंखों से निकाले गए रसायनों और जीवित मुर्गियों का इस्तेमाल किया गया था. शोधकर्ताओं ने पाया कि मुर्गी और इन रसायनों से मच्छरों की संख्या में काफी कमी आई थी. रसोई में रखी ये चीज़ें बचाएंगी दिवाली के प्रदूषण से मोटापा झट से कम करेंगी रसोई में रखी ये चीज़ें हाइपर एसिडिटी होती है तो इन बातों का रखें ध्यान