नई दिल्ली: पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम गुरुवार यानी आज 28 मई 2020 को कहा कि निर्णय के साथ दूर करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बॉन्ड नागरिकों के लिए एक ’क्रूर झटका’ था क्योंकि यह 2003 के बाद से ’जोखिम मुक्त’ बचत साधनों का एक उदहारण है. मिली जानकारी के अनुसार बीते बुधवार यानी 27 मई 2020 को, एक सरकारी अधिसूचना में यह कहा गया कि 7.75% बचत (कर योग्य) बांड, 2018, जिसे आरबीआई बांड या सरकारी बॉन्ड के रूप में भी जाना जाता है, “गुरुवार, 28 मई, 2020 को बैंकिंग व्यवसाय के बंद होने के प्रभाव से सदस्यता के लिए बंद हो जाएगा”. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चिदंबरम ने ट्वीट की एक श्रृंखला में इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि नागरिकों को मांग करनी चाहिए कि बांड तुरंत बहाल किए जाएं. जंहा इस बात का पाया चला है कि “सरकार ने बचाने वाले नागरिकों, विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों को एक और झटका दिया है. इसने सीनियर के 7.75% आरबीआई बॉन्ड को बंद कर दिया है कांग्रेस नेता ने कहा, सरकार ने जनवरी 2018 से पहले भी ऐसा किया जा चुका है. जंहा उन्होंने इस बारें में आगे कहा है कि “मैंने वीरतापूर्वक विरोध किया. अगले दिन उन्होंने बांड को फिर से पेश किया लेकिन ब्याज दर को 8% से घटाकर 7.75% किया जा चुका है. प्रभावी रूप से, कर के बाद, बांड केवल 4.4% का उत्पादन करेगा. वह अब निकाल लिया गया है. क्यों? मैंने इस कार्रवाई को समाप्त कर दिया है. ” “प्रत्येक सरकार अपने नागरिकों को कम से कम एक सुरक्षित, जोखिम मुक्त निवेश विकल्प प्रदान करने के लिए बाध्य है. यह 2003 से आरबीआई बांड था. पीपीएफ और छोटे बचत उपकरणों में ब्याज दरों को कम करने के बाद, जंहा आरबीआई बांड का उन्मूलन एक और क्रूर झटका है. सभी नागरिकों को मांग करनी चाहिए कि आरबीआई बांड को तुरंत बहाल किया जाना चाहिए. कोरोना संकट पर राहुल गाँधी का वीडियो सन्देश, केंद्र सरकार के सामने रखी चार मांगें मोदी सरकार से सोनिया गाँधी की मांग- प्रवासी मजदूरों के लिए खोलें सरकारी खज़ाना शोधकर्ताओं ने मानवीय मस्तिक को लेकर किया चौकाने वाला खुलासा