नई दिल्ली: शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लेकर कांग्रेस समेत 7 विपक्षी दलों के सांसद एक मत हो गए है और सभी पार्टियों ने मिलकर राज्यसभा अध्यक्ष वैंकया नायडू को नोटिस दे दिया है, वहीं तृणमूल कांग्रेस और डीएमके जैसी राजनीतिक पार्टियां महाभियोग से पल्ला झाड़ते नज़र आ रहे हैं. हालांकि नोटिस दिए जाने के बाद भी चीफ जस्टिस के कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा, वे अपना न्यायिक और प्रशासनिक कामकाज को करते रहेंगे. राजनीतिक दलों के खिलाफ होने के बाद भी कुछ लोग मुख्या न्यायमूर्ति के समर्थन में खड़े हैं, जिनमे संसदीय अधिकारी, वरिष्ठ वकील और कुछ जजों के नाम शामिल भी शामिल हैं. शनिवार को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री की ओर से जारी की गई सूची से स्पष्ट हो गया कि मुख्य न्यायमूर्ति खुद को सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक और न्यायिक कामकाज से दूर नहीं करेंगे. इस सूची में इस बात का पहले की तरह जिक्र है कि कौन से न्यायमूर्ति किस केस की सुनवाई करेंगे, यानी मास्टर ऑफ रोस्टर के रूप में मुख्य न्यायमूर्ति अपने काम को जारी रखे हुए हैं. इतना ही नहीं, वो कई अहम मुद्दों की सुनवाई भी करेंगे. 24 अप्रैल को भी चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा एक केस की सुनवाई करेंगे, जिसमे वे पांच सदस्यीय खंडपीठ आधार मामले से जुड़ी याचिकाओं पर गौर करेंगे. खुद न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा है कि जिस महाभियोग प्रस्ताव को उन्हें हटाने के लिए लाया जा रहा है, वो बेबुनियाद और निरर्थक है, उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित बताया, साथ ही कहा कि यह मुख्य न्यायमूर्ति को उनके कर्त्तव्य पालन से रोकने के लिए एक साजिश है. सूत्रों ने कहा कि अगर वेंकैया नायडू महाभियोग प्रस्ताव को मंजूर करते हैं, तो मुख्य न्यायमूर्ति अपने स्टैंड पर दोबारा विचार करेंगे, वरना वो अपने प्रशासनिक और न्यायिक काम को पहले की तरह जारी रखेंगे. गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी मुख्य न्यायाधीश से इसलिए नाराज़ चल रही है, क्योंकि उन्होंने पार्टी के कुछ वकीलों की संवेदनशील केस की सुनवाई टालने की मांग को ठुकरा दिया था. महाभियोग: बीजेपी ने शुरू की बचाव प्रक्रिया महाभियोग: मनमोहन की दुरी का कारण सिब्बल ने समझाया महाभियोग हर सवाल का हल नहीं- जज चेलमेश्वर