बड़वानी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरूवार को जागरूकता सम्मेलन के लिए बड़वानी जिले के सेंधवा पहुंचे। जहां उन्होंने कहा की जल, जंगल, जमीन से जुड़े फैसले अब भोपाल से नहीं गाँव की चौपाल से लिए जाएँगे, किसी भी सूरत में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जनपद पंचायत सेंधवा के सीईओ को प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार की शिकायत के चलते निलंबित किया जाता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरूवार को इंदौर संभाग के बड़वानी जिले के विकासखण्ड सेंधवा के ग्राम चाचरिया में आयोजित पेसा एक्ट जागरूकता सम्मेलन को संबोधित किया। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में पेसा एक्ट किसी गैर जनजातीय समाज के खिलाफ नही है। यह तो जनजातीय भाई-बहनों को और मजबूत करने के लिए है। यह प्रदेश के जनजातीय बाहुल्य 89 विकासखण्डो में लागू होगा, शहरों में लागू नही होगा। पेसा एक्ट जनजातीय भाई-बहनों को जल, जंगल, जमीन, श्रमिकों के अधिकारों का विशेष ध्यान एवं स्थानीय संस्थाओं, परंपराओं और संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन का अधिकार प्रदान करता है। पेसा एक्ट के अंतर्गत सर्वप्रथम तो कोरम के माध्यम से ग्रामसभा का गठन किया जायेगा। ग्राम सभा का सभापति होगा। साथ ही ग्राम सभा में समितियां भी बनाई जायेगी। ग्रामसभा में गैर जनजातीय भाई-बहन भी शामिल हो सकते है। ग्राम में समरसता के साथ ग्रामसभा का गठन होगा। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जल, जंगल, जमीन पर जनजातीय वर्ग का अधिकार है। प्रदेश सरकार उनके हक को दिला रही है। पेसा एक्ट जागरूकता सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री चौहान ने जमीन के अधिकार के बारे में बताते हुए कहा कि नये नियमों के अनुसार अब पटवारी और बीट गार्ड को गाँव की जमीन का नक्शा, खसरा, बी वन नकल, गाँव में ही लाकर ग्राम सभा में दिखाने होंगे। जिससे कि जमीन के रिकॉर्ड में कोई गड़बड़ी न कर सके। यदि कोई गड़बड़ी करता है तो ग्राम सभा को उसे ठीक करने का अधिकार रहेगा। किसी प्रोजेक्ट के लिये जमीन लेने के लिये ग्राम सभा की सहमति जरूरी होगी। छल, कपट और बल पूर्वक अब कोई जमीन नहीं हड़प सकेगा। यदि कोई ऐसा करता है तो ग्राम सभा को हस्तक्षेप कर उसे वापस करवाने का भी अधिकार होगा। उन्होंने कहा कि अधिसूचित क्षेत्र में रेत, मिट्टी, पत्थर या कोई अन्य खदान का पट्टा बिना ग्रामसभा की अनुमति के सरकार नही दे सकेगी। ग्राम में अगर किसी खनिज सम्पदा की खदान है तो उन खदानों पर पहला हक ग्रामसभा का होगा। ग्रामसभा तय करेगी कि खनिज संपदा की खदान किसे देना है और किसे नही अब सरकार नही तय करेगी। सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री ने बताया कि गौण वन संपदा जैसे अचार की गुठली, महुए का फूल, महुए की गुल्ली, हर्रा, बहेड़ा, बांस, आंवला, तेन्दूपत्ता आदि को बेचने, बिनने और इनके मूल्य निर्धारण का अधिकार भी अब ग्रामसभा के पास होगा। साथ ही ग्रामसभा वनोपज को खरीदकर उसका बेहतर उपयोग कर सकती है। ग्रामसभा इसके लिए अपना प्रस्ताव बनाकर 15 दिसम्बर तक वन विभाग को भेज सकती है। साथ ही मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि ग्राम सभा, अमृत सरोवरों, तालाबों का प्रबंधन करेगी। भारत जोड़ो यात्रा से 'फिट' हो रहे लोग, 80 फीसद लोगों का 13 किलो तक वजन घटा हॉन्गकॉन्ग से इंदौर में चल रहा था ड्रीम गर्ल कॉल सेंटर, हुए हैरतअंगेज खुलासे आखिर क्यों 2 दिसंबर के दिन मनाया जाता है 'राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस'?