बेंगलुरु. इलाज में लापरवाही के लिए अस्पताल प्रबंधन को ज़िम्मेदार ठहराने वाले अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों के खिलाफ कर्नाटक में चल रहे डॉक्टरों के आन्दोलन के कारण चिकित्सा व्यवस्थाएं ठप्प पड़ गई हैं. उन्हें बहाल करने के लिए मुख्यमंत्री सिद्धरमैया डॉक्टरों से बात करके मार्ग निकलने का प्रयास करेंगे. “मैं उन्‍हें बुलाऊंगा और उनकी मांगों पर चर्चा करूंगा.” अपनी मांगों को लेकर 14 जिलों के डॉक्‍टरों प्रदर्शन कर रहे हैं. गुरुवार को इस प्रदर्शन में बेंगलुरु के 22,000 डॉक्‍टर और शामिल हो गए हैं. इन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की घोषणा की. बेंगलुरु में प्राइवेट हॉस्‍पीटल एंड नर्सिंग होम्‍स एसोसिएशन के अध्‍यक्ष डॉक्‍टर जयन्‍ना ने कहा, “मुख्‍यमंत्री के साथ हुए विचार विमर्श में यह स्‍पष्‍ट हो गया है कि वे उचित और बेहतर निर्णय लेंगे.” यह सभी डॉक्टर कर्नाटक निजी चिकित्सीय प्रतिष्ठान अधिनियम, 2007 में संशोधन का विरोध कर रहे हैं. संशोधन के बाद इलाज में लापरवाही के लिए अस्पताल प्रबंधन को ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा. साथ ही चिकित्सीय लापरवाही के लिए छह महीने से लेकर तीन साल तक की जेल की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान जोड़ा जाएगा. प्रस्तावित संशोधन उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश विक्रमजीत सेन की सिफारिशों पर आधारित है. इस फैसले को चिकित्सीय पेशे के लिए नकारात्मक करार देते हुए शहर के पांच मेडिकल संघों ने सरकार के अपना फैसला वापस लेने तक बायरोगी सेवाएं बंद करने की घोषणा की. गोली लगने बावजूद गार्ड ने बदमाशों को भगाया किसानों ने किया पुलिस पर पथराव, जवाब में हवाई फायर सहवाग ने हार्दिक पटेल से यह क्या मांग लिया