पटना : बिहार में एईएस से मरने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अब झारखंड सरकार ने भी राज्य के सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। अभी तक बिहार में इस बीमारी से 100 बच्चों की मौत हो गई है। बता दें बिहार में इस बीमारी को दिमागी ज्वर या फिर चमकी बुखार कहा जा रहा है। 18 जुलाई से प्रारंभ होगा योगी सरकार का मानसून सत्र ,कई मुद्दों पर चर्चा संभव लगातार बढ़ रहा है बीमारी का खतरा जानकारी के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि मुजफ्फरपुर समेत राज्य के 12 जिलों में इस बीमारी का कहर लगातार बढ़ रहा है। एसकेएमसीएच में अब तक 85 बच्चों की जान जा चुकी है। इनमें से ज्यादातर की उम्र 10 वर्ष से कम है। बच्चों के हाइपोग्लाइसीमिया (शुगर लेवल के बिल्कुल कम होने) और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के शिकार होने के कारण मौत हो रही है। बच्चों की मौत के बाद आज हालातों का जायजा लेने अस्पताल पहुंचे नीतीश कुमार सरकार ने की पूरी तैयारी इसी के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम से दोबारा इतने बच्चों की मौत न हो इसके लिए लगातार प्रयास और शोध होगा। बिहार के 5 जिलों में वायरोलॉजी लैब बनाने की जरूरत है। एईएस की रोकथाम के लिए मुजफ्फरपुर में उच्च तकनीक का रिसर्च सेंटर बनेगा। यह काम एक साल में पूरा करने का निर्देश दिया गया है। भारत सरकार इस बीमारी को पूरी तरह खत्म करेगी। उन्होंने एसकेएमसीएच के आइसीयू पर नाराजगी जतायी और कहा कि यहां कम से कम 100 बेड का नया आईसीयू बनना चाहिए। खेत में धान लगाकर लौट रहे एक ही परिवार के छह लोग नाव पलटने से सतलुज नदी में डूबे इस पहाड़ी राज्य के लिए जारी हुई चेतावनी, ओले गिरने की संभावना चीन के सिचुआन प्रांत में आए भूकंप के दो झटकों में 11 की मौत