मुंबई: इसे व्यवस्था की विसंगति कहें या सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने की प्रवृत्ति, कि एक ओर जहाँ बुद्धिमान ज़रूरतमंद बच्चे धन के अभाव में विदेश जाने के खर्च को वहन नहीं कर पाने से अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़कर देश में ही कोई जॉब तलाशने लग जाते हैं, वहीं महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री और वरिष्ठ नौकरशाहों के बच्चों को सरकारी खर्च पर विदेश में पढ़ाए जाने का मामला सोशल मीडिया और जन चर्चा में आने के बाद सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इस पर संज्ञान लेकर मंत्री से स्पष्टीकरण माँगा है। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र राज्य का सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता विभाग हर साल अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए विदेशी शिक्षा छात्रवृत्ति की घोषणा करता है। इस सहायता में इकानोमी श्रेणी से विमान का एक तरफ का किराया, शिक्षण शुल्क, भत्ते आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। छात्रवृत्ति के लिए चयनित 35 छात्रों में सामाजिक न्याय मंत्री बडोले की बेटी श्रुति के अलावा राज्य सरकार के वरिष्ठ नौकरशाहों के बेटे समीर दयानंद मेश्राम और अंतरिक्ष दिनेश वाघमारे का नाम भी शामिल हैं। मंत्री पुत्री श्रुति ब्रिटेन के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय से 'एस्ट्रोनामी एंड एस्ट्रोफिजिक्स' में तीन साल की पीएचडी करने रही हैं। बता दें कि यहाँ जन चर्चा है कि आखिर जनता के टैक्स के रुपयों से मंत्री और उच्च नौकरशाहों के बच्चों पर क्यों खर्च किया जाए. सोशल मीडिया पर यह मामला उठने के बाद सूत्रों ने बताया कि देवेंद्र फडणवीस ने इस पर संज्ञान लेते हुए सम्बंधित मंत्री से स्पष्टीकरण मांगा है। हालाँकि भाजपा नेता बडोले ने कहा कि इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है।उन्होंने कहा चयन समिति में भी वे शामिल नहीं थे। यह भी देखें शौचालय के नाम पर घूसखोरो ने पेश की फर्जी रिपोर्ट SC ने कहा निजता के अधिकार के फैसले से प्रभावित होगा बीफ बैन