क्या कोरोना संकट का फायदा उठाकर भारत से युद्ध करना चाहता है चीन ?

कोरोना वायरस पर काबू पाने के बाद चीन ने अपनी गतिविधि भारत के खिलाफ तेज कर दी है. वही, भारत और चीन की सेनाएं तोपों और टैंकों समेत भारी हथियारों और युद्धक उपकरणों का पूर्वी लद्दाख के विवादित क्षेत्र के नजदीक स्थित सैन्य अड्डों पर जमावड़ा कर रही हैं। दोनों देशों में पिछले 25 दिनों से जारी तनातनी के बीच जमा किए जा रहे हथियारों से लद्दाख के युद्ध का मैदान बनने की आशंका बढ़ती जा रही है। वही, चीनी सेना ने वहां पर बड़ी तादाद में पैदल सेना को ले जाने वाले युद्धक वाहनों को भी तैनात कर दिया है, जिसे कुछ ही घंटों में भारतीय क्षेत्र के पास तैनात किए जा सकता है। उधर, चीनी सैन्य जमावड़े का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना ने भी वहां अपनी ताकत और तैनाती यकायक बढ़ा दी है। वह भी पूर्वी लद्दाख में तोपों और सैन्य उपकरणों को भेज रही है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भारतीय और चीनी पक्ष पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में सभी स्थानों पर बटालियन और ब्रिगेड स्तर पर एक-दूसरे से बात कर रहे हैं, जिसका अभी तक कोई परिणाम नहीं निकाला है। उसका भी नतीजा हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि चीनी जिन स्‍थानों पर थे, किसी भी पोजिशन से पीछे नहीं हटे हैं। विभिन्न स्थानों पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लगातार आमना- सामना हो रहा है।

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अगर आपको नही पता तो बता दे कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में बड़ी संख्या में क्लास ए वाहनों को चीनी सेना के पीछे की पोजिशन पर देखा जा सकता है। इन वाहनों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय तरफ से 25-30 किलोमीटर की दूरी पर तैनात किया गया है और कुछ ही घंटों में इसे बॉर्डर पर आगे लाया जा सकता है। ऐसा लगता है कि चीनी पक्ष बातचीत के माध्यम से भारत को उलझाना चाहता है और इसका उपयोग वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए कर रहा है। दूसरी ओर कमांडिंग ऑफिसर और ब्रिगेड कमांडर के स्तर पर बातचीत लगभग दैनिक आधार पर हो रही है, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं दिख रहा है। अब दोनों पक्षों के प्रमुख जनरल रैंक के अधिकारी जल्द ही बैठक करेंगे, ताकि क्षेत्र में तनाव को खत्म करने के तरीकों पर चर्चा की जा सके। चीनी पक्ष नियंत्रण रेखा में भारत द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। चीनी सेना के बेस पर क्लॉस ए स्तर के वाहन बड़े पैमाने पर सैटेलाइट इमेज में देखे जा सकते हैं. 

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