बीजिंग: कोरोना संक्रमण के बीच चीन ने जल्‍द ही मंगल ग्रह पर 'तियानवेन-1' को भेजने का मन बना रहे है. यह चीन की आगामी तीन मुख्य महत्‍वाकांक्षी मिशनों में से एक होने वाला है. हिन्दुस्तान ने 6 साल पहले ही मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचने वाला पहला एशियाई देश बन चुका है. लेकिन यूरोपीय संघ को छोड़ दिया जाए तो 2 देश पहले ही मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचने में सफल रहे हैं. साल 2014 में हिन्दुस्तान भी मंगल की कक्षा में पहुंचने में सफल रहा है. अगर चीन का यह मिशन सफल रहा तो वह मंगल की कक्षा पर पहुंचने वाला चौथा मुल्‍क हो सकता है. तियानवेन -1 चीन का पहला मंगल मिशन: तियानवेन -1 चीन का पहला मंगल मिशन होने वाला है. लॉन्ग मार्च -5 वाहक रॉकेट चीन का सबसे भारी प्रक्षेपण यान है. जिसका मकसद वैज्ञानिकों के लिए मंगल ग्रह की सूचना को एकत्र करना है. चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (CNSA) ने मंगल मिशन का नाम तियानवेन रखा जिसका मतलब है स्वर्गीय प्रश्न या स्वर्ग से प्रश्न. तियानवेन का नाम चीन के जाने माने कवि कु युआन की लिखी एक कविता के नाम पर रख दिया गया है. 2014 में भारत मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचने वाला पहला एशियाई देश: अभी तक मिली जानकारी के अनुसार हिन्दुस्तान, अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ की तरह चीन भी अपने इस वर्ष के मिशन से मंगल पर पहुंचने का प्रयास करने वाला है. वर्ष 2014 में भारत मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचने वाला पहला एशियाई देश बन चुका था. वहीं अपने पहले प्रयास में ऐसा करने वाला देश हिंदुस्तान ही था. 450 करोड़ (73 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की लागत से मंगल अभियान जारी करने वाला हिंदुस्तान दुनिया का अकेला देश है, जो सबसे कम खर्च में इस मिशन जाने वाला है. यहां पर सबसे पहले स्टेज 3 में पहुंचा कोरोना वैक्सीन का ट्रायल महज 100 घंटे में दस लाख नए मरीज, कोरोना की मार से कराह उठी दुनिया ताइवान में फिर शुरू हुआ हंगामा, आपको भी चौका देगा ये मामला