बीजिंग: चीन की सूचनाओं को दबाने की फितरत के चलते दुनिया आज महामारी का रूप लेते जा रहे कोरोना वायरस से पीड़ित है. वहीं दिसंबर के आखिर में जब वुहान शहर में कोरोना वायरस के शुरुआती मामले सामने आए थे, जंहा तब कम्युनिस्ट शासन वाले चीन ने इसे दुनिया की नजरों से छिपा दिया था. वुहान मेडिकल कॉलेज में दिसंबर में डॉक्टरों ने सात मरीजों को रहस्यमय बीमारी से पीडि़त पाया था: वहीं यह भी कहा जा रहा है कि वुहान के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दिसंबर के आखिर में डॉक्टरों ने सात मरीजों को रहस्यमय बीमारी से पीडि़त पाया था. बता दें कि उनका इलाज कर रहे डॉक्टर ली वेनलियांग ने अपने साथी डॉक्टरों को तुरंत सतर्क करते हुए उन मरीजों को इमरजेंसी विभाग के आइसोलेशन वार्ड में रखने को कहा था. क्या 2002 के एसएआरएस नामक बीमारी की वापसी हो रही: जानकारी है कि बीते वर्ष 30 दिसंबर 2019 को ऑनलाइन चैट में डॉक्टर वेनलियांग ने इसका जिक्र किया था. जंहा उनके साथ चैट में शामिल एक व्यक्ति ने इसे अत्यधिक भयावह बताते हुए डॉक्टर से यह जानना चाहा था कि क्या 2002 के एसएआरएस नामक बीमारी की वापसी हो रही है? वहीं उस बीमारी से लगभग आठ सौ लोगों की मौत हो गई थी. डॉक्टर से जबरन लिखवा लिया कि यह बीमारी एसएआरएस नहीं है, बल्कि कोरोना वायरस है: वहीं इस बात का भी पता चला है कि उसी रात को वुहान के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने डॉक्टर ली को तलब कर लिया. उनसे यह पूछा गया कि उन्होंने इस सूचना को क्यों शेयर किया. 3 दिन बाद पुलिस ने डॉ. ली से यह जबरन लिखवा लिया कि उनकी चेतावनी 'गैरकानूनी व्यवहार' के दायरे में आती है और यह बीमारी एसएआरएस नहीं है, बल्कि उसी से मिलता जुलता कोरोना वायरस है. भारत के आंतरिक मुद्दों पर है इमरान खान का ध्यान, अंतिम सांसे ले रही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस के खौफ में चीनी लोगों ने इन पालतू जानवरों को किया मारना शुरू कोरोना वायरस : चीन में एक के बाद एक ये शहर होते जा रहे सूनसान