बीजिंग। चीन ने भारत और अफगानिस्तान के बीच बने नए हवाई कॉरिडोर पर आपत्ती ली है। दरअसल इस काॅरिडोर से पाकिस्तान को किनारे कर दिया गया है। ऐसे में चीन ने इसे जिद्दी सोच बताया है। इस मामले में एक चीनी समाचार पत्र में प्रकाशन किया गया और लिखा गया कि भारत का यह कदम चीन की कनेक्टिविटी परियोजना का विरोध है। गौरतलब है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी वर्ष 2015 में भारत पहुंचे थे। ऐसे में धर काॅरिडोर बनाने का निर्णय लिया गया था। मिली जानकारी के अनुसार भारत को दूसरे देशों के साथ आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को विकसित नहीं करना चाहिए। दरअसल चारों ओर से विदेशी जमीनों से घिरे अगानिस्तान का आयात व निर्यात पड़ोसी देश पर ही निर्भर है। हालांकि भारत के लिए अफगानिस्तान का काॅरिडोर बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दरअसल बढ़ती आतंकी घटनाओं और चीन द्वारा वन रोड वन बेल्ट परियोजना को लेकर भारत पर दबाव बनाने के बीच इसे व्यापारिक मार्ग का एक बेहतर विकल्प माना जा रहा है। ऐसे में पाकिस्तान पर दबाव बना है तो दूसरी ओर चीन भी अपने प्रोजेक्ट के मसले पर कुछ कमजोर हो गया है। अरूणाचल प्रदेश पर अपना दावा करने वाले चीन से भारत की संप्रभुता को खतरे की आशंका जताई जाती रही है। ऐसे में भारत की अफगानिस्तान से मित्रता और स्थापित होते हवाई काॅरिडोर को दोनों ही देशों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस काॅरिडोर के स्थापित होने के बाद काबुल से मालवाहक विमान को नई दिल्ली में लैंड किया गया। 2024 तक इस मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा भारत चौथी तिमाही में GDP 6.1 फीसदी, आर्थिक विकास की दौड़ में चीन से पिछड़ा भारत अगले साल तक भारतीय सड़कों पर दौड़ेगी होंडा सीआर-वी का डीजल संस्करण भारत-पाक मैच से पहले श्रीनगर में आतंकी हमले को लेकर अलर्ट जारी