बीजिंग : बाल सम्मेलन में चीन ने भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की मुलाकात पर आपत्ती ली। चीन ने कहा है कि भारत को चीन के मूल हितों का सम्मान करना चाहिए और अपने दो पक्षीय संबंधों को ध्यान में रखना चाहिए। बता दे कि हाल ही में चीन के दृढ अनुरोध और कड़े विरोध के बावजूद दलाईलामा ने राष्ट्रपति भवन के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया और राष्ट्रपति मुखर्जी से मुलाकात की। इस मामले में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग सुआंग ने कहा कि चीन के विरोध के बाद भी दलाई लामा को लेकर व्यवस्था की गई और भारत के राष्ट्रपति ने उनसे भेंट की। गौरतलब है कि सुआंग से एक कार्यक्रम में दलाई लामा की मौजूदगी को लेकर सवाल किए गए थे। इसके उत्तर में प्रवक्ता गेंग सुआंग द्वारा दलाईलामा को राजनीतिक निर्वासन में बताया गया और कहा गया कि वह धर्म की आड़ में तिब्बत को चीन से अलग करने के प्रयास में चीन विरोधी गतिविधियों में लगे हुए हैं। गौरतलब है कि 10 दिसंबर को चिल्ड्रेन फाउंडेशन द्वारा एक समारोह आयोजित किया गया था। जिसमें शुभारंभ में दलाई लामा मौजूद थे। चिल्ड्रेन फाउंडेशन कैलाश सत्यार्थी का फाउंडेशन है। कैलाश सत्यार्थी को बच्चों के हित में काम करने के लिए नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। उन्हें पाकिस्तान की मलाला यूसुफज़ई के साथ यह सम्मान प्रदान किया गया था। हालांकि राष्ट्रपति मुखर्जी से दलाई लामा की भेंट पर चीन ने आपत्ती ली और इसे चीन के हितों को प्रभावित करने वाला बताया। गौरतलब है कि 10 दिसंबर मानवाधिकार दिवस के रूप में वैश्विक तौर पर मनाया जाता है और तिब्बती इस दिन चीन के अत्याचारों को लेकर विरोध जताते हैं। ऐसे में चीन ने दलाई लामा की गतिविधियों का विरोध किया है। गौरतलब है कि चीन पहले ही लामा की अरूणाचल यात्रा पर ऐतराज जता चुका है। कैलाश मानसरोवर से लौट रहे चार. तिब्बत में आए भूकंप के दो झटके