बीजिंग: अमेरिका से ऑस्ट्रेलिया तक, चीनी के वेट बाजारों (Wet Market) को बंद करने के लिए मांग की जा रही हैं. इन बाजारों का इतिहास रहा है कि मनुष्यों में होने वाले बहुत से मरीज यहां जन्म लेते हैं. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) जिस पर मानव रोगों को काबू करने का जिम्मा होता है, उनका कहना है कि वे आजीविका का एक साधन हैं. WHO के महानिदेशक का कहना है कि इन बाजारों को फिर से खोलने की इजाजत दी जानी चाहिए क्योंकि वे दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए किफायती भोजन और आजीविका का एक बड़ा स्रोत हैं. बता दें कि युन्नान प्रांत के वेट मार्केट 2003 में SARS वायरस पैदा हुआ था, जबकि कोरोना वायरस वुहान के वेट मार्केट से उपजा था. हालाँकि, यह तो जगजाहिर है चीन इन बाजारों को इस वायरस के स्रोत के रूप में कभी स्वीकार नहीं करेगा. बल्कि चीन तो इससे भी एक कदम आगे बढ़ गया है. अब चीन ने सफ़ेद झूट बोलते हुए कहा है कि ये बाजार तो कभी थे ही नहीं. चीन के एक और 'बड़बोले' विदेश मंत्रालय प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि चीन में 'वेट मार्केट' जैसी कोई जगह ही नहीं है. उन्होंने कहा कि, 'सबसे पहले, मैं यह बताना चाहूंगा कि चीन में 'वाइल्ड लाइफ वेट मार्केट' जैसी कोई चीज नहीं है. यहां तक कि चीन में 'वेट बाजार' जैसा कुछ नहीं है. यहां किसान बाजार, मुर्गी बाजार और सीफूड मार्केट ज्यादा आम हैं. इन बाजारों में ताजा मांस, मछली, सब्जियां, सीफ़ूड और कृषि से जुड़ी कई तरह के उत्पाद बेचे जाते हैं. और कुछ बाजार ऐसे भी हैं जो जीवित पोल्ट्री यानी मुर्गी और बत्तख वगैरह बेचने का काम करते हैं.' कोरोना से कराह रहे अमेरिका को मिली थोड़ी राहत, बीते 24 घंटों में हुई सबसे कम मौतें कोरोना संकट में श्रीलंका ने भारत से मांगी मदद, RBI के साथ करेगी ये बड़ा करार Video: कोरोना पर फूट-फूटकर रोए मौलाना, अल्लाह से मांगी माफ़ी