उत्तर कोरिया को लेकर चीन की मजबूरी, आखिर किसका देगा साथ

बीजिंग। विश्व में अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच टकराहट की स्थिति है। दरअसल उत्तर कोरिया परमाणु क्षमताओं से युक्त मिसाईलों का परीक्षण कर दक्षिण कोरिया को उकसाने में लगा है। जबकि अमेरिका चेतावनी दे चुका है कि उत्तर कोरिया के लिए हथियारों का परीक्षण घातक हो सकता है। दूसरी ओर दक्षिण चीन सागर में अपने हितों को लेकर चीन भी वैश्विक स्तर पर दिलचस्पी दिखा रहा है। ऐसे में विशेषज्ञों द्वारा इस बात पर दिलचस्पी दिखाई जा रही है कि आखिर चीन की भविष्य में क्या भूमिका होगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण चीन सागर पर अमेरिका कुछ नरम हो जाएगा। उत्तर कोरिया और चीन के बीच 149 से ही व्यापारिक और राजनीतिक संबंध हैं ऐसे में चीन का समर्थन वह छोड़ नहीं पाएगा। हालांकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भेंट उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन से नहीं हुई मगर इसके बाद भी इन देशों के रिश्ते बने हुए हैं संभावना है कि वैश्विक स्तर पर तनाव होने पर चीन और उत्तरकोरिया एक साथ आ सकते हैं जबकि अमेरिका दक्षिण कोरिया का समर्थन कर सकता है लेकिन सीधे तौर पर वह चीन का विरोध भी नहीं करेगा।

गौरतलब है कि कोरियाई युद्ध के दौरान चीन उत्‍तर कोरिया के समर्थन में लड़ भी चुका है। यदि उस वक्‍त अमेरिका संयुक्‍त राष्‍ट्र में प्रस्‍ताव पास करवाकर अचानक न आ धमकता तो उत्‍तर कोरिया दक्षिण कोरिया को कब का निगल चुका होता। उत्‍तर कोरिया और चीन का यह बेहद दिलचस्‍प पहलू है। हालांकि चीन अमेरिका से दुश्मनी नहीं करना चाहेगा। दरअसल चीन और उत्तर कोरिया के संबंधों को 60 वर्ष पूरे होने पर चीन उत्तर कोरिया के साथ अपने संबंधों को वर्ष 2009 में चीन - उत्तर कोरिया दोस्ती का नाम दे चुका है। ऐसे में चीन अपने लिए कोई खतरा नहीं मोल लेना चाहता है वह दक्षिण चीन सागर के मामले में चारों ओर से घिरा हुआ भी है।

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