इंदौर: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी और देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर से हाउसिंग बोर्ड और CHL द्वारा आपसी सांठगांठ से 200 करोड़ रुपए का घोटाला करने का मामला सामने आया है। यहाँ एक तरफ तो प्रेस काम्प्लेक्स 26 भूखंडधारियों (Plot Holders) को केवल इसलिए लीज शर्तों के उल्लंघन पर बेदखली का नोटिस भेज दिया गया कि उन्होंने अपने भवन को किराए पर दिया। वहीं शहर के हाउसिंग बोर्ड ने ऐतिहासिक कारनामा करते हुए लीज शर्तों का उल्लंघन करते हुए होटल की जगह हास्पिटल का संचालन कर रहे CHL के भूखंड और विशाल भवन को फ्री होल्ड कर प्रबंधकों को 200 करोड़ रुपए का लाभ पहुंचाया। हाउसिंग बोर्ड की मिलीभगत से संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त करने वाले हास्पिटल संचालक अब संपत्ति को बेचने की फ़िराक़ में हैं, ताकि अरबों का लाभ कमाकर खरीदने वाले को उलझनों में डाला जा सके। बता दें कि, राजेश भार्गव CHL हॉस्पिटल ग्रुप के फाउंडर और चेयरमैन हैं। वहीं उनके बेटे राजुल भार्गव इस CHL हॉस्पिटल के डायरेक्टर हैं, उनके साथ नेमीचंद मारु भी इस अस्पताल के डायरेक्टर हैं। कहाँ से शुरू हुआ ये मामला ? दरअसल, 1970 में हाउसिंग बोर्ड ने एबी रोड पर एक होटल का निर्माण किया गया था, जिसका नाम होटल सुहाग रखा गया था। बाद में हाउसिंग बोर्ड द्वारा होटल संचालित करने में असमर्थता जाहिर करने पर वर्ष 1986 में उक्त होटल बंजारा लिमिटेड (Hotel Banjara Limited) के निदेशक राधेश्याम अग्रवाल को 30 साल की लीज, यानी किराए पर दी गई। उक्त भूमि एवं भवन की लीज डीड की शर्त की कंडिका 7 में स्पष्ट रूप से यह कहा गया कि उक्त भूमि एवं भवन में सिर्फ होटल ही चलाया जा सकेगा। होटल बंजारा लिमिटेड ने शर्तों का पालन करते हुए उक्त भवन में होटल इंडोटेल (Hotel Indotel) ऑपरेट किया, मगर आर्थिक संकट में घिरे ग्रुप ने उक्त भूमि एवं भवन वर्ष 1999 में कन्विनेंट होटल्स लिमिटेड को समान लीज शर्तों के साथ विक्रय कर दी। कंपनी का उद्देश्य होटल व्यवसाय होने की वजह से हाउसिंग बोर्ड (Housing Board) द्वारा नामांतरण मंजूर कर लिया गया, जिसकी नामांतरण डीड पर कन्विटेंट होटल लिमिटेड के डायरेक्टर की हैसियत से डॉ. राजेश जैन ने दस्तखत किए। इसके बाद कन्विनेंट होटल लिमिटेड ने बड़े ही शातिर तरीके से अपनी कंपनी का नाम कन्विनेंट होटल्स लिमिटेड से बदलकर कन्विनेंट हास्पिटल्स लिमिटेड (CHL) कर दिया और होटल की जगह हास्पिटल चलाने लगे। इस लीज उल्लंघन की तमाम शिकायतों को हाउसिंग बोर्ड न सिर्फ कचरे में डालता रहा, बल्कि लीज डीड की शर्तों में उल्लेखित भवन में अतिरिक्त एवं आंतरिक बदलाव नहीं किए जाने की शर्तों को भी परिवर्तित कर अतिरिक्त निर्माण कार्य की मंजूरी दे दी गई। इसके बाद मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल द्वारा 20-1-2015 को एक सर्कुलर जारी करते हुए कुछ लीज की संपत्तियों को सशर्त फ्री होल्ड में परिवर्तित करने का परिपत्र जारी किया गया, जिसकी मुख्य शर्त क्रमांक 8 यह थी कि उन्ही संपत्तियों को फ्री होल्ड किया जाएगा, जिन्होंने भूमि उपयोग यानी लैंडयूज में कोई बदलाव नहीं किया हो। किन्तु हाउसिंग बोर्ड की मिलीभगत से उत्साहित संचालकों ने उक्त संपत्ति को फ्री होल्ड करने के लिए अर्जी दे दी, जिसे बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारियों ने मंजूर कर लिया। और लीज शर्तों के उल्लंघन पर जिस भूमि एवं भवन को बेदखली का नोटिस दिया जाना था तथा लीज रद्द की जानी थी, उसके भूखंड को कलेक्टर गाइड लाइन का मात्र डेढ़ फीसद भूखंड मूल्य 80 लाख 79 हजार 110 रुपए एवं 10 वर्ष की अग्रिम लीज राशि मात्र 4 लाख 86 हजार 670, यानी कुल रकम 85,65,780 रुपए लेकर फ्री होल्ड करने के आदेश दे दिए। हाउसिंग बोर्ड द्वारा फ्री होल्ड पंजीयन का डॉक्यूमेंट, अ-1-1853 दिनांक 30-3-2015 को रजिस्टर कराया गया, जिसका क्षेत्रफल 4683.54 वर्गफीट लिखा गया। इसके बाद एक संशोधन पेश कर उक्त वर्गफीट की जगह उतने ही आकार, यानी 4683.54 वर्गमीटर किए जाने का बदलाव किया गया। आशंका यह भी है कि हाउसिंग बोर्ड ने कलेक्टर गाइड लाइन से ली गई राशि वर्गफीट में ली और बाद में उसे वर्गमीटर में बदलकर भी बोर्ड को आर्थिक नुकसान पहुंचाया। हाउसिंग बोर्ड द्वारा लीज डीड का उल्लंघन करते हुए होटल की जगह संचालित किए जा रहे हॉस्पिटल की लीज निरस्ती की कार्रवाई के बजाय उसे फ्री होल्ड किए जाने पर की गई शिकायतों के जवाब में तत्कालीन उपायुक्त एनके देशपांडे ने स्वीकार किया कि मंडल द्वारा बनाई गई होटल सुहाग को बंजारा लिमिटेड को विक्रय किए जाने के वक़्त यह शर्त थी कि इस भूमि और भवन में सिर्फ होटल ही चलाया जा सकेगा। बाद में 23 दिसंबर 2000 को कन्विनेंट होटल लिमिटेड को लीज डीज निष्पादन के दौरान उक्त शर्त यथावत थी, मगर उसके साथ ही भूमि का इस्तेमाल वाणिज्यिक भी जोड़ दिया गया, जिसका लाभ उठाने का हास्पिटल संचालकों द्वारा कोशिश की गई होगी। किन्तु, चूंकि होटल भी वाणिज्यिक गतिविधियों में शामिल होता है, इसलिए उक्त वाणिज्यिक शर्त का अर्थ अन्य व्यवसाय के लिए नहीं लिया जा सकता है। चूंकि उक्त भूमि का इस्तेमाल वाणिज्यिक है, इसीलिए होटल बनाया गया, मगर लीज शर्तों के मुताबिक, उक्त भूमि और भवन में सिर्फ होटल ही संचालित हो सकते हैं। इसके बाद भी लीज नियमों की धज्जियाँ उड़ाने पर कार्रवाई करने की जगह उक्त संपत्ति को फ्री होल्ड किया जाना अनुचित मानने के बाद भी घोटाला करने वाले किसी भी अधिकारी पर बोर्ड की तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया गया। प्रेस केवल किराए पर देने के लिए दोषी, लेकिन होटल की जगह हॉस्पिटल चलाने वाले सम्पत्ति के मालिक, कैसे ? प्रशासन द्वारा चाय व्यापारियों के साथ ही 40 साल पहले प्रेस काम्प्लेक्स में समाचार पत्रों को दिए गए भूखंड में अखबार संचालन की लीज शर्त के मामूली उल्लंघन पर बेदखली के नोटिस जारी कर दिए गए थे, जिनके प्रकरण अभी भी अदालत में प्रचलित हैं। वहीं होटल की जगह हास्पिटल चलाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं किए जाने, बल्कि उनके भूखंड और भवन को मामूली राशि पर फ्री होल्ड किए जाने पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। हाउसिंग बोर्ड अपनी अरबों की जो संपत्ति जब्त कर उसी संपत्ति को खुले बाजार में इतनी ही रकम में बेच सकता था, उसे केवल 86 लाख रुपए लेकर फ्री होल्ड करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों पर तो अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही उक्त दस्तावेज रद्द करने की प्रशासन ने कोई कार्रवाई की। '12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है ज्ञानवापी में मिला शिवलिंग, कोर्ट में कर सकते हैं साबित' इन चीजों को खाने के बाद भूल से भी नहीं पीनी चाहिए चाय चाय के फायदे कम और नुकसान हैं बहुत ज्यादा, छोड़ दें पीना!