नई दिल्ली : अपनी झूठी शान के लिए अपने ही बच्चों की जान लेने वाले परिजनों से किसी भी दंपत्ति को न डरने की सलाह दी गई है। यह सलाह मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) ने दी है। सीआईसी ने केंद्र व राज्यों को सुझाव दिया है कि अगर किसी दंपति को अपने जीवन और स्वतंत्रता को लेकर खतरा महसूस हो रहा है तो अदालत में शादी करने की इच्छा रखने वाले दंपति के लिए घोषणा पत्र शामिल किया जाए। सूचना आयुक्त श्री धर आचार्युलु ने कहा कि रजिस्ट्रार के समक्ष दंपत्ति विशेष विवाद कानून के तहत पुलिस प्रोटेक्शन की भी मांग कर सकते है। इस संबंध में आग्रह थाना अधिकारियों को भेजना होगा। यदि शुरुआत में ही एसएचओ खतरे को सही पाता है, तो वो दंपत्ति को सुरक्षा देने वाले कदम उठा सकता है। आयोग द्वारा एसडीएम व विवाद अधिकारियों को दिए गए निर्देश में कहा गया कि विवाह कानून के तहत शादी का 30 दिन का नोटिस सुनिश्चित किया जाए जो सूचना के अधिकार कानून की धारा 4(1) (D) के तहत आवश्यक है ताकि संबंधित व्यक्ति इस बारे में जान सकें और अगर आपत्ति हो तो जाहिर कर सकें। कानूनन शादी तभी हो सकेगी जब एसडीएम द्वारा इसकी एक कॉपी ऑफिस के नोटिस बोर्ड पर लगाई जाएगी। इसके बाद यदि 30 दिनों के भीतर कोई इस पर आपत्ति जताता है, तो विवाद रोक दिया जाएगा। सूचना आयुक्त ने कहा कि शादी न होने देने के केस में कोई भी पक्ष जिला अदालत में 30 दिनों के भीतर अपील कर सकता है। कानून के तहत पंजीकरण दो उद्देश्य पूरे करता है- समाज को प्रस्तावित शादी के बारे में सामान्य जानकारी देना और फिर शादी के सबूत के तौर पर। ब्रिटिश ब्यूटिशियन की पाकिस्तान में संदेहास्पद मौत बहन के अफेयर से नाराज भाई ने उठाया ऐसा कदम