नई दिल्ली : केंद्रीय सूचना आयोग ने सवाल किए कि महात्मा गांधी की हत्या को लेकर जो फरार आरोपी रहे हैं, उन्हें पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस और अन्य संस्थाओं द्वारा क्या कार्यवाही की गई। इतना ही नहीं सूचना आयोग द्वारा ओडिशा के हेमंत पांडा द्वारा दायर आरटीआई पर दिल्ली पुलिस से सवाल किया गया और कहा गया कि तीन भगोड़ों गंगाधर दहावटे, सूर्य देव शर्मा और गंगाधर यादव को पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस ने किस तरह की कोशिशें की थी। पांडा द्वारा आयोग को कहा गया कि वे एक शोधकर्ता हैं और महात्मा गांधी की हत्या से संबंधित जानकारियों का अध्ययन करना चाहते हैं। वे पुलिस द्वारा अंतिम आरोप पत्र और नाथूराम गोडसे के विरूद्ध की जाने वाली कार्रवाई के आदेश के दस्तावेजों की प्रतियों को देखना चाहते थे। गौरतलब है कि महात्मा गांधी की हत्या एक प्रार्थना सभा के दौरान नाथूराम गोडसे द्वारा 30 जनवरी को 1948 में किए जाने की जानकारी अभी तक इतिहास और अन्य स्थानों पर उपलब्ध है। महात्मा गांधी की हत्या को लेकर पांडा द्वारा कहा गया है कि उन्होंने राष्ट्रीय अभिलेखागार में रखी जानकारी का अवलोकन और अध्ययन किया, इस मामले के महत्वपूर्ण दस्तावेज उन्हें नहीं मिल सके। महात्मा गांधी की शहादत और नाथूराम गोडसे के बयान को सार्वजनिक किया जाए राष्ट्रपिता की मौत की वजह - जिद, जिन्ना और जवाहर जानिए- महात्मा गाँधी और हिन्दी साहित्यकार माखन लाल चतुर्वेदी के निधन और इतिहास की अन्य बातें