देश की सर्वोच्च न्यायालय ने असम सरकार को फटकार लगाते हुए, सरकार को अपने उस फैसले को बदलेने के लिए कहाँ, जिसमे उसने पंचायत द्वारा जारी किये गए जन्म प्रमाण पत्रों को पर्याप्त दस्तावेज नहीं मानने की बात कही थी. असल में बात राज्य में चल रही बांग्लादेशी नागरिको के घुसपैठ कि घटनाओ से जुडी है. लगातार घुसपैठ से परेशान सरकार ने कहाँ कि बांग्लादेशी नागरिक पंचायत का जन्म प्रमाण पत्र आसानी से बनवा सकते है. इसी के तहत ये फैसला लिया गया था, मगर सुप्रीम कोर्ट के अनुसार इस फैसले का असर राज्य की 29 लाख महिलाओं पर बुरा प्रभाव पड़ा. इन महिलाओं के पास सबूत के तौर पर यही दस्तावेज है, जिसे अमान्य कर दिए जाने पर महिलाओं को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ा है. इसके आलावा असम ने दो नागरिकता का सिस्टम भी चला रखा है. मूल निवासी की संख्या एक करोड़ है, वही गैर-मूलनिवासी नागरिको की संख्या तीन करोड़ है. सुप्रीम कोर्ट ने इस सिस्टम को भी बंद करने का कहाँ. देश में सिर्फ एक नागरिकता होगी भारतीय नागरिकता. असम में अब तक मार्च 1971 के पहले के दस्तावेजों को मान्यता नहीं थी. मगर सुप्रीम कोर्ट ने कहाँ कि 1971 के पहले के लोग भी हिंदुस्तानी ही है. यहाँ क्लिक करे हर दो महीने में नए देश की यात्रा करती है ये अभिनेत्री घूमने का शौक है तो, ये जगह हैं आपके लिए सगाई टूटने पर किया रेप सुप्रीम कोर्ट ने दी डोनाल्ड ट्रंप के ट्रैवल बैन को मंजूरी