बीते दिनों हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद जामिया, एएमयू और जेएनयू में गरमाई स‍ियासत के बीच देश के मुख्‍य न्‍यायाधीश एसए बोबडे ने कहा है कि विश्‍वविद्यालयों को असेंबली लाइन प्रॉडक्शन यूनिट की तरह काम नहीं करना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि किसी विश्‍वविद्यालय का विचार यह दर्शाता है कि हम एक समाज के रूप में क्‍या हासिल करना चाहते हैं. 'CAA-NRC को लेकर अलग-अलग बयान दे रहे मोदी-शाह, कौन सच्चा कौन झूठा ?' नागपुर में मुख्‍य न्‍यायाधीश बोबडे ने आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि विश्‍वविद्यालय महज ईंट और गारे से बने ढांचे नहीं हैं. निश्चित तौर पर इन्‍हें असेंबली लाइन प्रॉडक्शन यूनिट (एक ही तरह का उत्‍पाद बनाने वाली ईकाई) की तरह काम नहीं करना चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि एक विश्‍वविद्यालय का विचार ऐसा होता है कि हम एक समाज के रूप में क्या हासिल करना चाहते हैं...? शादी का कार्ड बना सीएए समर्थन पत्र, कानून को समझाने का नया तरीका आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मुख्‍य न्‍यायाधीश बोबडे संवेदनशील मसलों पर अपनी बात तार्किक तरीके से रखते हैं.बीते दिनों उन्‍होंने वकील विनीत डांडा की याचिका पर फैसला देते हुए कहा था कि देश अभी मुश्‍किल हालात से गुजर रहा है जब यहां शांति लाने की कोशिशें की जानी चाहिए और ऐसी याचिकाएं शांति लाने में मददगार नहीं होंगी. याचिका में CAA को लेकर शांति और सौहार्द्र में व्‍यवधान डालने वालों के खिलाफ सख्‍त कार्रवाई की मांग की गई थी.यही नहीं बीते शनिवार को सीजेआइ बोबडे ने कहा था कि अदालतों के लिए एक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) प्रणाली विकसित होनी चाहिए ताकि न्याय मिलने में देरी पर रोक लगाई जा सके. उन्होंने अदालतों में लंबित मामलों के निपटारे के लिए मध्यस्थता की भी जरूरत बताई. वह बेंगलूरू में न्यायिक अधिकारियों की19वीं द्विवार्षिक राज्य स्तरीय कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. चारपाई पर मिला महिला का जला हुआ शव, दुष्कर्म के बाद हत्या की आशंकादिग्विजय सिंह का केंद्र पर हमला, कहा- DSP देविंदर सिंह को बचाने के ले NIA को सौंपी जांच इन 4 खिलाड़ियों ने जिताया राजकोट का रण, बने दूसरे मैच में हीरो