नई दिल्ली: भगोड़े नीरव मोदी को जल्द ही भारत लाया जा सकता है। ब्रिटेन के उच्च न्यायालय ने इसे हरी झंडी दिखा दी है। वहां के उच्च न्यायालय की ओर से उस याचिका को खारिज कर दिया गया है जहां पर प्रत्यर्पण रोकने की अपील की गई थी। अदालत का कहना है कि नीरव का प्रत्यर्पण किसी भी नजरिए से अन्यायपूर्ण या दमनकारी नहीं होगा। बता दें कि भारत लंबे वक़्त से नीरव मोदी का प्रत्यर्पण चाहता है। मगर ब्रिटेन में शरण लिए बैठा नीरव मोदी उस एक्शन से बचने के लिए निरंतर अलग-अलग तर्क दे रहा है। ब्रिटेन उच्च न्यायालय में नीरव के अधिवक्ता बता रहे हैं कि वो तनाव का शिकार है तथा भारत के जेल में जैसी स्थिति है, वहां पर वो खुदखुशी भी कर सकती है। इसी तर्क के आधार पर प्रत्यर्पण का विरोध किया जा रहा है। मगर ब्रिटेन की उच्च न्यायालय ने पूरी सुनवाई के पश्चात् नीरव मोदी की उस याचिका को खारिज कर दिया है। इससे पहले भी जब इस मामले में सुनवाई हुई थी, तब जस्टिस रॉबर्ट जे ने इस बात पर जोर दिया था कि भारत के ब्रिटेन के साथ अच्छे संबंध हैं तथा उन्हें 1992 वाली India-UK Extradition Treaty का सम्मान करना आवश्यक है। अदालत ने अपने आदेश में ये भी स्पष्ट कर दिया है कि Westminster अदालत ने बीते वर्ष प्रत्यर्पण को लेकर जो फैसला सुनाया था, वो एकदम सही था। अदालत ने ये भी तर्क दिया है कि खुदखुशी का खतरा बताना प्रत्यर्पण के खिलाफ आधार नहीं बन सकता है। सुनवाई के चलते जजों ने भारत सरकार द्वारा दिए गए उन आश्वासनों का भी जिक्र किया जहां बताया गया था कि नीरव मोदी को जेल में किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा तथा उनका psychiatric diagnosis भी किया जाएगा। तब भारत सरकार की ओर से पेश हुए Helen Malcolm ने भी बोला था कि ये बहुत संवेदनशील एवं हाई प्रोफाइल मामला है, ऐसे में नीरव मोदी का पूरा ध्यान रखा जाएगा। 'खून तक पहुंच गया है हवा का प्रदूषण', डॉ. गुलेरिया का आया बड़ा बयान कलेक्टर ने किया जोबट विपणन सहकारी संस्था का दौरा सायबर टीम ने बरामद किये लाखों की कीमत के गुम हुए मोबाइल फोन