नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का आंदोलन 45वें दिन में प्रवेश कर चुका है। शुक्रवार को कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों की सरकार के साथ 8वें दौर की वार्ता भी अनिर्णायक रही। किसानों के प्रदर्शन से संबंधित तमाम याचिकाओं पर शीर्ष अदालत में 11 जनवरी को सुनवाई होगी। इस बीच छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने केंद्र को सलाह देते हुए कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश से पहले सरकार खुद इन कानूनों को रद्द करे दें। सीएम भूपेश बघेल ने शनिवार को कहा कि, 'केंद्र सरकार किसानों को कृषि कानूनों को लेकर शीर्ष अदालत जाने की सलह दे रही है। यदि शीर्ष अदालत केंद्र सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने का आदेश देता है तो सरकार को मानना पड़ेगा। इससे अच्छा है सरकार इन कानूनों को खुद ही निरस्त कर दें।' बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ओर किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच तीन कृषि कानूनों को लेकर शुक्रवार को आठवें दौर की वार्ता में भी कोई समाधान नहीं निकला है। सूत्रों के अनुसार, अगली बैठक 15 जनवरी को हो सकती है। तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े किसान नेताओं ने शुक्रवार को सरकार से दो टूक कहा कि उनकी 'घर वापसी' तभी होगी जब वह इन कानूनों को रद्द करेगी। पश्चिम बंगाल के उप चुनाव आयुक्त की 12 जनवरी को होगी बंगाल की दूसरी यात्रा किम जोंग-उन ने अमेरिका को बताया 'सबसे बड़ा शत्रु', जानिए क्यों नितीश कुमार बोले- भाजपा की वजह से अटक रहा कैबिनेट विस्तार