लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) से मुकाबले में निरंतर पिछड़ रही कांग्रेस अब अपने सियासी समीकरण को दुरुस्त करने की कोशिश में जुट गई है. कांग्रेस अपनी सियासी जमीन को वापस हासिल करने के लिए अपने पुराने और परंपरागत दलित वोटबैंक को रिझाने की कोशिश में है. दरअसल, कांग्रेस जनवरी के दूसरे सप्ताह में कानपुर में दलित महासम्मेलन आयोजित करेगी, जिसमें प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी के साथ ही पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी भी दलित वोटों को साधने की कोशिश करेंगे. यूपी कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग की मीटिंग में पार्टी के राष्ट्रीय सचिव प्रदीप नरवाल ने दलित सम्मेलन करने के लिए प्रस्ताव पेश किया है. कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के चारों कार्यकारी अध्यक्ष भी दलित सम्मेलन कराने के लिए कमर कस चुके हैं, जिसके लिए पहली रैली कानपुर में रखने का प्लान है. कांग्रेस दलित सम्मेलन को यूपी चुनाव से एन पहले करने का रोडमैप बना रही है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी यूपी विधानसभा चुनाव में अपने पुराने क्षेत्र अमेठी में रोड शो करके अवश्य एंट्री मारी है, किन्तु विधिवत रूप से वो दलित सम्मेलन के माध्यम से दस्तक देंगे. कांग्रेस राष्ट्रीय सचिव प्रदीप नरवाल ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश में ,सभी पार्टियां दलितों का वोट चाहते हैं, किन्तु कोई भी उनका विकास करना नहीं चाहता है. कांग्रेस पार्टी ही ऐसी है, जिसने दलितों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के साथ ही सियासत में भी आगे बढ़ाने का कार्य किया है. यूपी चुनाव: SP-RLD की संयुक्त रैली में शामिल नहीं होंगे अखिलेश यादव, सामने आई बड़ी वजह कमलनाथ के प्रियंका गाँधी को मध्यप्रदेश बुलाने पर बोले नरोत्तम मिश्रा- राहुल गांधी जी से दस दिन में... राजनीति अपनी जगह, शिष्टाचार अपनी जगह.., मोदी-योगी ने फिर दिखा दिया