भू-कानून को लेकर CM धामी ने किया ये बड़ा ऐलान

देहरादून: उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को जनता को आश्वस्त किया कि उनकी सरकार भू-कानून का मुद्दा हल करेगी। उन्होंने कहा कि पर्यटन, शिक्षा एवं ग्रामीण विकास के नाम पर अधिग्रहित भूमि का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी तथा अगले विधानसभा सत्र में भू-कानून संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उनकी सरकार भू-कानून एवं मूल निवास के मुद्दों पर संवेदनशील है। वे प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप एक व्यापक भू-कानून लाने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने बताया कि प्रावधानों के खिलाफ नगर निकाय क्षेत्र से बाहर खरीदी गई जमीन राज्य सरकार के अधीन होगी तथा ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

शुक्रवार को सचिवालय में मीडिया से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा, "जैसे हमारी सरकार ने मार्च 2021 से अब तक कई लंबित मामलों का समाधान किया है, उसी प्रकार मैं उत्तराखंड की जनता को भरोसा दिलाता हूं कि हम भू-कानून के मुद्दे को भी सुलझाएंगे। हमारी सरकार भूमि कानून और अधिवास के मुद्दों पर गंभीर है तथा हम अगले बजट सत्र में उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार एक व्यापक भू-कानून लाने की कोशिश कर रहे हैं।"

वही इस अवसर पर सीएम ने कहा कि वर्तमान में उत्तराखंड में कोई भी व्यक्ति नगर निकाय क्षेत्र के बाहर 250 वर्ग मीटर भूमि बिना अनुमति के खरीद सकता है। किन्तु यह सामने आया है कि एक ही परिवार के विभिन्न नामों से भूमि खरीदी जा रही है, जो प्रावधानों का उल्लंघन है। जमीन के दुरुपयोग करने वालों की भूमि जब्त की जाएगी। पिछली सरकार ने नगर निगम क्षेत्र के बाहर 250 वर्ग मीटर तक खरीद की अनुमति दी थी। मुख्यमंत्री ने कहा, "यह सामने आया है कि एक ही परिवार के सदस्यों ने अलग-अलग नामों से जमीन खरीदी है; ऐसे सभी मामलों की जांच की जाएगी। पिछली सरकारों के दौरान किए गए संशोधनों की समीक्षा की जाएगी, और जहां आवश्यक होगा, उन्हें वापस लिया जाएगा।"

मुख्यमंत्री धामी ने कहा, "अगर किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए खरीदी गई भूमि का इस्तेमाल उस उद्देश्य के लिए नहीं किया गया है, तो उसे सरकार में वापस मिला लिया जाएगा। अगले विधानसभा सत्र में भूमि कानून का मसौदा पेश किया जाएगा, और सरकार भूमि कानूनों से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।" सीएम ने कहा कि उत्तराखंड के मूल स्वरूप को बचाने के लिए उठाए जा रहे इन कदमों से किसी व्यक्ति या संस्था को परेशान होने की जरुरत नहीं है, जिनके निवेश से उत्तराखंड में पर्यटन, शिक्षा, उद्योग, व्यापार आदि क्षेत्रों में रोजगार उत्पन्न होता है और अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।

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