देहरादून: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कारगिल विजय दिवस के मौके पर भारतीय सेना के अदम्य साहस व शौर्य को नमन किया। शौर्य दिवस के मौके पर मंगलवार को मुख्यमंत्री धामी ने गांधी पार्क स्थित शहीद स्मारक स्थल पर कारगिल शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस के चलते उन्होंने शहीदों के परिजनों एवं वीरांगनाओं को सम्मानित भी किया। वहीं मुख्यमंत्री की तरफ से कोई बड़ा ऐलान न होने से सैनिक परिवार निराश भी हुए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन का आरम्भ रामधारी सिंह दिनकर की कविता, 'जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल, कलम, आज उनकी जय बोल' से किया। उन्होंने कहा कि मैं स्वयं एक सैनिक परिवार से हूं। इसलिए वीरों की वीरता को समझता हूं। कारगिल के युद्ध में वीरों की राष्ट्रभक्ति अपने चरम पर थी। उनका साहस ही था जिसके बल पर युद्ध जीता गया। मुख्यमंत्री धामी ने कहा- राज्य में बनने वाला सैन्यधाम सितंबर महीने तक बनकर तैयार हो जाएगा। आने वाला दशक उत्तराखंड का दशक होगा। हमें उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ प्रदेश बनाने का संकल्प लेना होगा। उन्होंने कहा कि पहले सेना को एक गोली तक चलाने की छूट नहीं थी। अब यदि सेना पर एक गोली चलती है तो उसका जवाब सर्जिकल स्ट्राइक से दिया जाता है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अब देश की सेना और मजबूत हुई है। केंद्रीय नेतृत्व दिल्ली में बैठकर नहीं घाटी में जाकर सेना का मनोबल बढ़ाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कारगिल युद्ध में बड़े आंकड़े में उत्तराखंड के सपूतों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति दी। प्रदेश सरकार सैनिकों, पूर्व जवानों एवं उनके परिजनों के कल्याण के लिये वचनबद्ध है। भारत की सेना ने अपने शौर्य और पराक्रम से हमेशा देश का मान बढ़ाया है। हमें अपने जवानों की वीरता पर गर्व है। भारतीय सेना के वीर सैनिकों ने कारगिल में विपरीत हालातों में भी दुश्मन को भागने पर विवश किया था। कारगिल युद्ध में देश की सीमाओं की रक्षा के लिए वीर सैनिकों के बलिदान को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा। कारगिल विजय दिवस: जब भारत के खिलाफ जंग लड़ने पहुंच गए थे शोएब अख्तर.. नहीं रहे अशोक जगदाले, क्रिकेट जगत में छाया शोक कन्हैयालाल के हत्यारों को अपने किए का कोई पछतावा नहीं, किसने बना दिया इतना कट्टर ?