उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री का आरोप है कि केंद्र सरकार की ओर से पहले 14 वें वित्त आयोग में उत्तराखंड की राशि में कटौती की गई और अब लगातार उत्तराखंड विरोधी कदम उठाए जा रहे हैं.यही नहीं भागीरथी मास्टर प्लान पर केंद्र द्वारा एनजीटी में लिए गए स्टैंड को मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश विरोधी बताते हुए सीएम का कहना है कि इससे प्रदेश की प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाएं इसके दायरे में आ जाएंगी. जिसके चलते प्रदेश का हित प्रभावित होगा. अब रावत ने केंद्र सरकार के खिलाफ उपवास का दांव चला है. उपवास भी देहरादून के बदले दिल्ली में करने का फैसला लिया ताकि दिल्ली से पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया जा सके.हरीश रावत इसके जरिये केंद्र सरकार पर कितना दबाव बना पायेंगे यह तो आने वाला समय बतायेगा.लेकिन हरीश रावत ने जो दांव चला है, यह उनका पुराना दांव है और पहले सफल रहा है. 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद सीएम पद पर हरीश रावत की प्रबल दावेदारी थी़, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने हरीश रावत को दरकिनार कर विजय बहुगुणा पर भरोसा जताया था. तब हरीश रावत ने अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के खिलाफ राजनीतिक सत्याग्रह छेड़ दिया था.आखिर कांग्रेस हाई कमान को 1 फरवरी 2014 को रावत को सीएम बनाना पड़ा था.हरीश रावत ने अब केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए फिर से इस हथियार को आजमाने का फैसला किया है. उत्तराखंड से PM मोदी: कहा - नोटबंदी से... रावत से पूछताछ करेगी सीबीआई