नई दिल्ली : राजद से मुक्ति पाने के बाद भाजपा की मदद से दूसरी बार बिहार के सीएम बने नीतीश कुमार का रवैया इस बार सख्त नज़र आ रहा है. गुरुवार को शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ हुई विभागीय समीक्षा बैठक में लिए गए कठोर फैसले तो यही जाहिर कर रहे हैं. बता दें कि नीतीश के द्वारा लिए गए फैसलों में सबसे प्रमुख फैसला यह है कि जो भी शिक्षक 50 की उम्र पार कर चुके हैं और कई वर्षों से अयोग्य और निकम्मे साबित हो रहे हैं, उनको जबरन रिटायर किया जाएगा. यह कठोर फैसला लेने के पीछे इस वर्ष के मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा में छात्रों के खराब प्रदर्शन को माना जा रहा है. इस फैसले को लागू करने के लिए नीतीश कुमार ने तीन सदस्यीय समिति का गठन भी कर दिया है जो पहले उन स्कूलों को चिन्हित करेगी,जहां के नतीजे सबसे खराब आए .इसके बाद वहां के शिक्षकों और जिले के शिक्षा पदाधिकारी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उल्लेखनीय है कि इस निर्णय से राज्य में 5000 स्थाई और अनुबंध पर बहाल किए गए शिक्षकों पर असर पड़ेगा. सरकार उन शिक्षकों की भी छुट्टी करने जा रही है, जो शिक्षक दक्षता परीक्षा में लगातार तीन बार से फेल हो रहे हैं.राज्य सरकार के इस फैसले से शिक्षकों में काफी आक्रोश है. ऐसे प्रभावित शिक्षक आंदोलन भी कर सकते हैं. यह भी देखें तेजस्वी यादव ने लगाए नीतीश कुमार की कैबिनेट पर भ्रष्टाचार के आरोप आपराधिक मामलों में आरोपी हैं CM नीतीश कुमार के 22 मंत्री