बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कथित तौर पर डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद से अपने विरुद्ध लगे भ्रष्टाचार के इल्ज़ामों को स्पष्ट करने की बात कही है। प्रसाद को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए सीएम के 1 ऐनी मार्ग स्थित उनके सरकारी आवास पर पेश होने का आदेश दिया है। सूत्रों का बोलना है कि नीतीश कुमार, प्रसाद से नाराज हैं, जिनपर हर घर नल का जल प्रोग्राम के तहत बहू सहित अपने रिश्तेदारों को 58 करोड़ रुपये का ठेका देने में शामिल होने का इलज़ाम है। नीतीश कुमार ने कथित तौर पर प्रसाद से एक सार्वजनिक मंच पर अपना रुख स्पष्ट करने को बोला है। वह यह भी चाहते हैं कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व इस केस का संज्ञान ले क्योंकि उनके डिप्टी के भ्रष्टाचार में कथित संलिप्तता की वजह से राज्य सरकार को भारी शमिर्ंदगी का सामना करना पड़ रहा है। जिसके पूर्व विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने बोला था कि कथित घोटाले का पता राम प्रकाश महतो ने अगस्त 2020 में लगाया था और उन्होंने फरवरी 2021 में नीतीश कुमार को एक पत्र भी लिखा, लेकिन फिर भी सीएम ने इस बात पर कोई भी सज्ञान नहीं लिया। यादव ने कहा कानून के अनुसार ठेका विशेषज्ञ कंपनियों या ठेकेदारों को दिया जाना चाहिए। इस केस में नीतीश कुमार सरकार के मंत्रियों ने अपने ही रिश्तेदारों को ठेका सौपा था। तारकिशोर प्रसाद ने बहू, बेटी और उसके पति को ठेका दिया है। उन्होंने बोला है, PHED विभाग वर्षों से बीजेपी के अधीन है। पहले सुशील कुमार मोदी PHED और अब तारकिशोर प्रसाद का प्रभार संभाल रहे थे। नीतीश कुमार अपने कनिष्ठ मंत्रियों को संरक्षण दे रहे हैं, जिससे घोटाले हुए। LJP नेता चिराग पासवान ने भी नीतीश कुमार पर हमला करते हुए इलज़ाम लगाया कि उनकी सरकार के सभी मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्होंने बोला, 7 निश्चय योजना जो कि नीतीश कुमार की परियोजना है, वास्तव में भ्रष्टाचार को जन्म देने वाली है। उनके मंत्रिमंडल में एक भी मंत्री ने रिश्तेदारों को सरकारी ठेके देने से नहीं रोका है। मुख्यमंत्री हमेशा जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं लेकिन उनके मंत्री भ्रष्टाचार के मामलों से भी जुड़े हुए है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 2019-20 के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार किए प्रदान अफगान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ दोस्ताना संबंध चाहता है: विदेश मंत्री सुष्मिता सेन की 'आर्या' को मिला इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्स 2021 में नॉमिनेशन