रायपुर: आर्थिक अपराध शाखा/भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (EOW) छत्तीसगढ़ ने 540 करोड़ रुपये के कथित कोयला लेवी घोटाले से जुड़े एक मामले में 6 जून को खनन विभाग के कोरबा स्थित कार्यालय में छापेमारी की। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के अनुसार एजेंसी के अधिकारी गुरुवार को कोरबा के खनन कार्यालय पहुंचे और राज्य में 2020-2022 के बीच पनपे करोड़ों रुपये के कथित घोटाले से जुड़े दस्तावेजों की जांच की। अधिकारी कथित तौर पर 5 जून, 2024 की शाम को बिजली नगर पहुंचे थे और 6 जून की सुबह मामले की जांच शुरू की थी। यह घटनाक्रम कोयला व्यवसायी और घोटाले के कथित मुख्य किंगपिन सूर्यकांत तिवारी और भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी समीर विश्नोई को EOW द्वारा रिमांड पर लिए जाने के बाद हुआ है। हाल ही में एजेंसी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पूर्व उपसचिव सौम्या चौरसिया और निलंबित IAS रानू साहू से भी पूछताछ की है, जो बहुचर्चित कोयला लेवी घोटाले में आरोपी हैं। बताया जा रहा है कि EOW के अधिकारियों ने हाल ही में चौरसिया और साहू दोनों के भाइयों से भी पूछताछ की है। इससे पहले एजेंसी ने साहू और चौरसिया को बुधवार को दो दिन की रिमांड पूरी होने के बाद विशेष अदालत में पेश किया था, जहां से उन्हें 18 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। चौरसिया और साहू के अलावा समीर विश्नोई और सूर्यकांत तिवारी भी इस मामले में 10 जून तक EOW की रिमांड पर हैं। गौरतलब है कि EOW ने करोड़ों रुपये के घोटाले के सिलसिले में इस साल जनवरी में छत्तीसगढ़ सीएमओ में तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया, IAS रानू साहू, समीर विश्नोई, कोयला कारोबारी सूर्यकांत तिवारी, पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता अमरजीत भगत, कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव, पूर्व विधायक चंद्रिका प्रसाद राय और अन्य सहित 35 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। एजेंसी ने इस मामले की जांच तब शुरू की जब ED ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें कहा गया था कि एक बड़े कोयला लेवी घोटाले में वरिष्ठ नौकरशाहों, कोयला व्यवसायियों, राजनेताओं और बिचौलियों के एक गिरोह द्वारा राज्य में परिवहन किए गए प्रत्येक टन कोयले पर 25 रुपये का अवैध लेवी वसूला गया था। मामले में ED की जांच के अनुसार, कथित सरगना सूर्यकांत तिवारी कुछ राजनेताओं और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के समर्थन से कोयला कारोबारियों और ट्रांसपोर्टरों से लेवी वसूलने का गिरोह चलाता था। ईडी की जांच में यह भी पता चला कि कोयला ट्रांसपोर्टरों के लिए जिला मजिस्ट्रेट द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र (NoC) अनिवार्य करने के लिए किए गए संशोधनों के कारण तिवारी जबरन वसूली रैकेट को सुचारू रूप से संचालित करने में सफल रहे। आर्थिक खुफिया एजेंसी ने यह भी दावा किया था कि एनओसी हासिल करने के लिए ट्रांसपोर्टरों और कोयला कारोबारियों से 25 रुपये प्रति मीट्रिक टन की वसूली तय की गई थी। वसूली गई रकम बाद में राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों के बीच बांटी गई; ईडी की जांच में संबंधित अधिकारियों द्वारा एनओसी जारी करने में अनियमितताएं भी उजागर हुई हैं। विशेष रूप से, ईडी ने अक्टूबर 2022 में मामले की जांच शुरू की और अब तक मामले के संबंध में 10 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया है, इसने आरोपियों से जुड़े दर्जनों स्थानों पर छापेमारी के बाद लगभग 220 करोड़ रुपये की संपत्ति भी कुर्क की है। जांच के दौरान एजेंसी ने यह भी दावा किया था कि चौरसिया, विश्नोई और उनसे कथित तौर पर जुड़े अन्य कोयला व्यापारियों ने अपने रिश्तेदारों का इस्तेमाल करके 'बेनामी' संपत्तियां बनाईं। ईडी की इस मामले की जांच आयकर (आईटी) विभाग द्वारा वर्ष 2022 में एजेंसी द्वारा की गई छापेमारी के बाद दर्ज की गई शिकायत से शुरू हुई है। मोदी 3.0 ने किया सरकार बनाने का दावा, राष्ट्रपति को सौंपा NDA सांसदों का समर्थन पत्र राहुल गांधी को जान से मारने की धमकी, कांग्रेस बोली- ओडिशा आने पर मारने की साजिश 'हमारा देश किसी के सामने नहीं झुकेगा, जब तक..', NDA की बैठक में बोले सुपरस्टार पवन कल्याण