नई दिल्ली :खबर का शीर्षक पढ़कर आपको हैरानी होगी, लेकिन यह सच है कि लालू को बचाने में एक कलेक्टर की भी भूमिका होने का मामला सामने आया है.चारा घोटाले के एक मामले में लालू यादव को सजा सुनाए जाने के बाद से रोज हो रहे खुलासों से एक बार फिर राजनीति का काला चेहरा सामने आ गया है.इससे यह बात तो साबित हो गई कि सत्‍ता और पैसे की ताकत के सामने हर कोई झुक जाता है,फिर चाहे वो कोई भी हों. उल्लेखनीय है कि लालू यादव को जेल से बरी करने की सिफारिश करने वालों की सूची बहुत लम्बी है,इसमें शामिल एक और नाम का खुलासा हुआ है और वो हैं जालौन के कलेक्टर डा. मन्नान अख्तर. लालू यादव को बचाने के लिए उन्‍होंने सीबीआई के स्‍पेशल जज शिवपाल सिंह को फोन कर कहा था, कि आप लालू का केस देख रहे हैं, जरा देख लीजिएगा. लेकिन शिवपाल सिंह अपने फैसले पर अडिग रहे और अब हर कोई उनके साहस की प्रशंसा कर रहा है. बता दें कि लालू यादव के खिलाफ फैसला सुनाने वाले जज शिवपाल सिंह उत्तर प्रदेश स्थित जालौन जिले के शेखपुर खुर्द गांव के निवासी हैं. गांव में कुछ लोगों ने उनकी जमीन पर कब्जा जमा लिया. विरोध करने पर उनके भाई सुरेंद्र पाल सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया. विरोधी जमीन पर कब्जा कर खेती कर रहे हैं. साथ ही जबरन जमीन से चक रोड निकाल दिया है. शिवपाल सिंह ने खुद जिला कलेक्टर से न्याय मांगा, लेकिन समस्याएं दूर नहीं हुई.जबकि छह नवंबर, 2015 को वहां के तत्कालीन एसडीएम ने जमीन को मुक्त कराने का निर्देश दिया था . इस मामले में जज ने डीएम जालौन से मदद मांगी तो वहां से भी असहयोग करने के साथ ही कथित अभद्र टिप्पणी की गई .यह मामला अब भी लंबित है.उधर कलेक्टर जालौन डा. मन्नान अख्तर और एसडीएम भैरपाल सिंह ने भी जज से लालू यादव के पक्ष में सिफारिश करने की बात से इंकार किया है. यह भी देखें लालू की मुश्किलें बढ़ाएगा चाईबासा कोषागार गबन घोटाले का फैसला जेल में लालू के सेवकों के पहुंचने का मामला गर्माया