शारदीय नवरात्रि में है रंगों का विशेष महत्व, यहाँ जानिए

सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से मनाया जाता है, और इस वर्ष यह पर्व 3 अक्टूबर 2024, गुरुवार से प्रारंभ होगा। नवरात्रि का यह पर्व मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा का समय होता है, जिसमें श्रद्धालु नौ दिनों तक उपवास, पूजा-अर्चना और भक्ति करते हैं। इस दौरान मां भगवती के नौ दिव्य स्वरूपों की उपासना से विशेष लाभ प्राप्त करने की मान्यता है।

धार्मिक मान्यताएँ नवरात्रि के दौरान, भक्तजन माता आदिशक्ति की उपासना करते हैं, जिससे उनके सभी कष्ट और दुःख दूर होने की आशा होती है। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक समृद्धि को भी बढ़ावा देता है। इस दौरान विशेष रूप से नवरात्रि की नौ रातों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसमें भक्तजन विशेष अनुष्ठान और भक्ति गीत गाते हैं।

नवरात्रि के 9 रंगों का महत्व नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक दिन का एक विशेष रंग होता है, जो उस दिन की पूजा और मनोकामनाओं से संबंधित है। इन रंगों का उपयोग न केवल पूजा में किया जाता है, बल्कि ये भक्तों के मनोबल और सकारात्मक ऊर्जा को भी बढ़ाते हैं। आइए, जानते हैं नवरात्रि के नौ रंगों और उनके महत्व के बारे में:

पहला दिन: पीला रंग नवरात्रि के पहले दिन पीला रंग निर्धारित किया गया है। यह रंग ऊष्मा, ऊर्जा और आनंद का प्रतीक है। इस दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जो साहस और शक्ति का प्रतीक हैं।

दूसरा दिन: हरा रंग नवरात्रि के दूसरे दिन हरे रंग का प्रयोग करना लाभकारी माना जाता है। हरा रंग विकास, शांति और स्थिरता का प्रतीक है। इस दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जो ज्ञान और तप का प्रतीक हैं।

तीसरा दिन: स्लेटी रंग तीसरे दिन स्लेटी रंग का उपयोग करें। यह रंग संतुलित विचारधारा का प्रतीक है और व्यवहारिकता को बढ़ावा देता है। इस दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक हैं।

चौथा दिन: नारंगी रंग चौथे दिन नारंगी रंग का महत्व है। यह रंग स्फूर्ति, उल्लास और उत्साह का प्रतीक है। इस दिन माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है, जो जीवन की ऊर्जा का प्रतीक हैं।

पांचवा दिन: सफेद रंग नवरात्रि के पांचवे दिन सफेद रंग का प्रयोग करें, जो शुद्धता, सरलता और आत्मज्ञान का प्रतीक है। इस दिन माता स्कंद माता की पूजा की जाती है, जो रक्षा और संरक्षक का कार्य करती हैं।

छठा दिन: लाल रंग षष्ठी व्रत के दिन लाल रंग का प्रयोग करना चाहिए। लाल रंग उत्साह, प्रेम और ऊर्जा का प्रतीक है। इस दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है, जो युद्ध और विजय की देवी हैं।

सातवां दिन: गहरा नीला रंग सप्तमी के दिन गहरे नीले रंग का प्रयोग करें। यह रंग समृद्धि, शांति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। इस दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है, जो अंधकार और नकारात्मकता का नाश करती हैं।

आठवां दिन: गुलाबी रंग दुर्गा अष्टमी के दिन पूजा में गुलाबी रंग का प्रयोग करें। यह रंग प्रेम, स्नेह और सद्भाव का प्रतीक है। इस दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है, जो पवित्रता और समर्पण का प्रतीक हैं।

नवां दिन: बैंगनी रंग महानवमी के दिन बैंगनी रंग का प्रयोग करें। यह रंग भव्यता, ऐश्वर्य और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जो सभी इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।

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