देहरादून: उत्तराखंड राज्य के नैनीताल उच्च न्यायालय में आज चमोली शहर के लोकप्रिय हिमक्रीड़ा सेंटर औली बुग्याल में हुई, गुप्ता बंधुओं की दो सौ करोड़ की शाही शादी के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. तत्पश्चात कोर्ट ने कहा है कि ऐसे समारोह की सहमति पर विचार करने के सिलसिले में टूरिज्म सेक्रेटरी की अध्यक्षता में समिति बनाई जाए, जो कि पर्यावरण के हानि पर कंट्रोल तथा गतिविधियों पर अपनी निगरानी रखेगी. जस्टिस सुधांशु धूलिया एवं जस्टिस आरसी खुल्बे की खंडपीठ के सामने पुरे मामले की सुनवाई के पश्चात्, फैसला सुरक्षित रख लिया था. सम्पूर्ण मामले के मुताबिक़, अधिवक्ता रक्षित जोशी ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर किए था. जिसमे उन्होंने कहा, 18 से 20 जून 2019 तक औली में हुई शाही शादी के लिए औली बुग्याल में सरकार की तरफ से विवाह की सहमति दी गई. ऐसे में पर्यावरण को नुक्सान पहुंचना निश्चित है. वही याचिका में सरकार पर कानून के खिलाफ सहमति देने तथा आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की गई थी. मामले में कोर्ट ने पर्यावरण को होने वाली हानि की भरपाई को लेकर गुप्ता परिवार को तीन करोड़ जमा करने का आदेश दिया था. कोर्ट में सुनवाई के चलते औली में गंदगी को लेकर नाराजगी जताई थी. जिसके पश्चात् सरकार ने अपना बचाव करते हुए कहा, औली बुग्याल नहीं है. जिस पर कोर्ट ने इस सिलसिले में वाडिया इंस्टीट्यूट, जीबी पंत, हिमालयन इंस्टीट्यूट, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट तथा एनआईएम नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेन संस्थानों से जवाब मांगा था. जिसमें पूछा था कि औली बुग्याल है या नहीं. कोर्ट ने आदेश में साफ़ किया है कि पर्यटन व पर्यावरण के बीच में तालमेल रखा जाए. ओर ये अतिआवश्यक है. राम मंदिर के लिए सोने की ईंट देना चाहते हैं मुग़ल खानदान के वारिस, पीएम को भेजा प्रस्ताव पाकिस्तान ने फिर तोड़ा सीजफायर, डेगवार सेक्टर में दागे मोर्टार DU Online Exam: हाई कोर्ट ने यूनिवर्सिटी से मांगी कॉमन सर्विस सेंटर की ड‍िटेल