बैंगलोर: कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद के बीच सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है. इस याचिका में पूरे देश के शैक्षणिक संस्थानों में कॉमन ड्रेस कोड लागू करने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि कॉमन ड्रेस कोड (Common Dress Code) के लागू होने से हिंसा को बहुत हद तक कम करने में सहायता मिलेगी. इतना ही नहीं, इस पहल से शिक्षा के वातावरण में भी कई सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेंगे. कॉमन ड्रेस कोड को लेकर शीर्ष अदालत में निखिल उपाध्याय नाम के एक स्टूडेंट ने याचिका दाखिल की है. उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा कि, ‘एक समान ड्रेस कोड न सिर्फ समानता, सामाजिक न्याय, लोकतंत्र के मूल्यों को बढ़ाने के लिए आवश्यक है, बल्कि एक न्यायपूर्ण और मानवीय समाज बनाने के लिए भी जरूरी है.’ याचिकाकर्ता ने कहा कि, ‘एक समान वर्दी से जातिवाद, सांप्रदायिकता, कट्टरवाद और अलगाववाद के सबसे बड़े खतरे को कम किया जा सकेगा.’ उपाध्याय ने आगे कहा कि, ‘सभी के लिए समान मौके के प्रावधानों के माध्यम से लोकतंत्र के सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने के लिए सार्वभौमिक शिक्षा की भूमिका को हमारे गणतंत्र की स्थापना के बाद से स्वीकार किया गया है. सामान्य ड्रेस कोड न सिर्फ हिंसा को कम करता है, बल्कि एक सकारात्मक शैक्षिक वातावरण को भी प्रोत्साहित करता है. यह सामाजिक-आर्थिक मतभेदों की वजह से होने वाली हिंसा के अन्य पहलुओं पर भी कम करता है.’ 13 फरवरी को है तिल द्वादशी, इस तरह करें पूजा कोविड-19 टीकाकरण में दुनिया के गरीब देश पीछे: रिपोर्ट जिनेवा में तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने अंतरराष्ट्रीय वार्ता की मांग की