वाशिंगटन: इंडिया अमेरिका के नागरिकों, वियतनाम के अमेरिकी नागरिकों और तिब्बती समुदायों ने रविवार को कैपिटल हिल के बाहर चीन के विरुद्ध प्रदर्शन किया और जमकर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ में नारे लगाए. वियतनाम के अमेरिका के समुदाय के सदस्य मैक जॉन ने कहा, 'हम अमेरिका वियतनाम में कम्युनिज्म की वजह से आए न कि चीन के लोगों की वजह से.' कोरोना वायरस के मद्देनजर शारीरिक दूरी को ध्यान में रखकर और मास्क पहनकर जनता ने प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों के हाथ में चाइना विरोधी नारे वाले पोस्टर और बैनर थे. लेकिन भारत के विरुद्ध चीन की आक्रामक गतिविधियों और मुस्लिम बहुल क्षेत्र शिनजियांग में उइगर अल्पसंख्यक समूहों के मूल कर्मचारियों के हनन को लेकर यह विरोध प्रदर्शन जारी हुआ. इस प्रदर्शन में मौजूद अदपा प्रसाद ने बताया,'एक ओर जहां दुनिया कोविड के विरुद्ध जंग लड़ रही है वहीं दूसरी ओर चाइना दूसरे देशों की जमीन हथियाने में लगा है. ये न केवल इंडिया के लद्दाख बल्कि अन्य पड़ोसी देशों के साथ भी चाइना का यही व्यवहार जारी है. चीन की इस चालबाजी के विरुद्ध सभी देशों को एकजुट होने का वक़्त है.' 5 मई से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा समेत अन्य क्षेत्रों में चीन-भारत के मध्य तनाव जारी है. 15 जून को गलवन घाटी में दोनों देशों की हिंसक झड़प के उपरांत स्थिति और भी बदतर हो गई. इस झड़प में 20 हिन्दुस्तानी जवान शहीद हो गए थे. बीते माह मीडिया रिपोर्ट्स पर एकत्र होकर इंडिया और अमेरिका के समुदाय के लोगों ने चीन के विरुद्ध नारे लगाए. जिसमे उन्हें वहां रहने वाले तिब्बत और ताइवान के समुदायों का भी साथ शामिल था. जानकारी मिली है कि अमेरिका भी चीन के विरुद्ध एक के बाद एक जांच कर रहा है. इसके तहत आर्थिक गतिविधियों व चीनी एप को प्रतिबंधित करने के अतिरिक्त वहां के चुनिंदा अधिकारियों पर भी बैन लगाया जा चुका है. रूस में जारी कोरोना विस्फोट, 24 घंटे में 70 से अधिक की मौत फिलीपींस में कोरोना का विस्फोट, बढ़ा मौत का आंकड़ा श्रीलंका आम चुनावों में प्रचंड जीत के बाद महिंदा राजपक्षे ने आज ली पीएम पद की शपथ