नई दिल्ली : 1 जुलाई से जीएसटी लागू हो जाने पर मोबाईल बिल में इजाफे की सम्भावना है. टेलीकॉम कंपनियों के अनुसार सरकार जो इनपुट टैक्स क्रेडिट दे रही है, वह बढ़े हुए टैक्स को समायोजित करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा. इसीलिए कंपनियों के संगठन सीओएआई ने सरकार से टैक्स रेट 18 फीसदी से कम रखने की मांग की है. बता दें कि अभी फोन बिल पर 15 प्रतिशत सेवा शुल्क और सेस लगता है. जीएसटी में इनपुट क्रेडिट की मिली सुविधा से टैक्स में वृद्धि को समायोजित नहीं किया जा सकेगा. तीन प्रतिशत टैक्स तो पूरे रेवेन्यू पर जुड़ेगा, लेकिन इनपुट क्रेडिट सिर्फ मशीनरी आदि की खरीद पर मिलेगा. यह रेवेन्यू का करीब 1. 1फीसदी होगा. इस मामले में एसोसिएशन ने राजस्व सचिव हसमुख अढिया को एक पत्र लिखा है. उल्लेखनीय है कि 11 जून को जीएसटी काउंसिल की फिर बैठक होगी इसमें कुछ नियमों को अंतिम रूप देने के साथ कर दरों में संशोधन के उन प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा. जिनकी कर की दरें अभी की तुलना में काफी अधिक है . उधर, सोमवार को जीएसटी की समीक्षा बैठक में पहली बार पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए. जहां उन्होंने अधिकारियों से जीएसटी के आईटी नेटवर्क की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने को कहा , ताकि इसे हैक न किया जा सके. मोदी ने कहा कि नई टैक्स व्यवस्था देश की अर्थव्यवस्था के लिए ‘टर्निंग प्वाइंट’ साबित होगी. एक देश, एक बाजार और एक टैक्स व्यवस्था से आम आदमी को बहुत लाभ होगा. यह भी देखें जानिए GST बिल पर कमल के बाद बोनी की रॉय... कैट ने GST लागू होने से पहले माँगा 9 माह का ट्रायल पीरियड