नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनावों में इस बार कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), और भाजपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। लेकिन कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के भाषणों का मुख्य निशाना भाजपा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ही बने हुए हैं। राहुल गांधी ने दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाके सीलमपुर की रैली में भाजपा और आम आदमी पार्टी, दोनों पर हमला बोला, लेकिन उनका अधिकतर समय भाजपा और मोदी सरकार की आलोचना में ही बीता। यह सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी जानबूझकर अरविंद केजरीवाल पर सीधे हमले करने से बच रहे हैं, और यह उनकी रणनीति का हिस्सा है? उल्लेखनीय है कि, 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और AAP ने INDIA गठबंधन के तहत साथ मिलकर भाजपा का मुकाबला किया। लेकिन अब, 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में, दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। राहुल गांधी ने अपने भाषण में AAP और केजरीवाल की नीतियों पर सवाल उठाए, लेकिन व्यक्तिगत हमलों से बचते हुए उन्हें सीधे भ्रष्टाचार का आरोपी नहीं बताया। शराब घोटाला और शीशमहल जैसे मुद्दों पर भी राहुल गांधी चुप रहे। हालांकि, उन्होंने केजरीवाल को मोदी सरकार की तरह झूठे वादे करने वाला बताया। उनका कहना था कि भ्रष्टाचार खत्म करने के वादे के साथ सत्ता में आई आम आदमी पार्टी दिल्ली में भ्रष्टाचार रोकने में नाकाम रही। इसके अलावा, राहुल ने दिल्ली की खराब हवा, महंगाई, और अडानी-अंबानी के मुद्दों पर केजरीवाल सरकार को घेरने की कोशिश की। इस चुनाव में कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह पूरी तरह अलग-थलग पड़ गई है। कांग्रेस और गांधी परिवार के कथित अहंकार के कारण पार्टी को अपने गठबंधन साथियों का समर्थन नहीं मिल पा रहा है। INDIA गठबंधन के कई साथी, जैसे अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, और ममता बनर्जी, खुलकर केजरीवाल का समर्थन कर रहे हैं। सीलमपुर की रैली में अजय माकन जैसे नेताओं की गैर-मौजूदगी ने यह संकेत दिया कि कांग्रेस अब भी AAP के साथ अपने रिश्तों को पूरी तरह खत्म नहीं करना चाहती। यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी केजरीवाल को लेकर अपना रुख कितना स्पष्ट करते हैं। राहुल गांधी ने अपने भाषण में संविधान, दलितों, पिछड़ों, और अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाया। उन्होंने जातिगत जनगणना का समर्थन किया और वादा किया कि दिल्ली में कांग्रेस की सरकार बनने पर इसे लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आरक्षण की सीमा बढ़ाने और जातिगत जनगणना कराने में मोदी और केजरीवाल दोनों ही नाकाम रहे हैं। उन्होंने भाजपा और RSS पर निशाना साधते हुए कहा कि ये संगठन आंबेडकर के संविधान पर हमला कर रहे हैं। राहुल ने अपने भाषण में कहा, "हम नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने आए हैं। भाजपा और RSS देश को विभाजित कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस सबको साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है।" राहुल गांधी ने रैली के लिए मुस्लिम बहुल क्षेत्र सीलमपुर को चुना। उन्होंने अल्पसंख्यकों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की कि कांग्रेस उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म के व्यक्ति के खिलाफ हिंसा होने पर वह पीड़ितों के साथ खड़े रहेंगे। शीला दीक्षित के कार्यकाल की याद दिलाकर उन्होंने कांग्रेस के पुराने गौरव की तस्वीर पेश करने की कोशिश की। दिल्ली में कांग्रेस पिछले 10 वर्षों में खाता खोलने में भी नाकाम रही है। चाहे वह विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव, कांग्रेस को हर बार हार का सामना करना पड़ा। अब राहुल गांधी ने संविधान और जातिगत जनगणना जैसे मुद्दों को उठाकर कांग्रेस को फिर से जीवित करने की कोशिश की है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह पर्याप्त होगा? कांग्रेस की मुख्य समस्या यह है कि वह न तो भाजपा की तरह मजबूत है, न ही AAP की तरह स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित। भाजपा के पास केंद्र की ताकत है, और AAP के पास दिल्ली के स्थानीय वोट बैंक। ऐसे में, राहुल गांधी के सामने यह चुनौती है कि वह दिल्ली के मतदाताओं को कांग्रेस के पक्ष में कैसे लाएं। राहुल गांधी का भाजपा और RSS पर हमला करना उनकी राष्ट्रीय रणनीति का हिस्सा हो सकता है। लेकिन दिल्ली जैसे स्थानीय चुनाव में, जहां AAP का दबदबा है, कांग्रेस को सीधे तौर पर सत्ताधारी AAP का मुकाबला करना होगा। अगर राहुल गांधी AAP पर हमले से बचते हैं, तो यह उनके लिए नुकसानदेह हो सकता है। अब यह देखना होगा कि संविधान, जातिगत जनगणना, और समान भागीदारी की बातें करके राहुल गांधी दिल्ली के मतदाताओं को कितना प्रभावित कर पाते हैं। अगर कांग्रेस इस बार भी खाता नहीं खोल पाई, तो यह पार्टी के लिए और बड़ी हार होगी। 180+ लोगों के हत्यारे मासूम..! उम्रकैद की सजा काट रहे आतंकियों को बचाने पहुंचे पूर्व चीफ जस्टिस पूरे टूर में खिलाड़ियों के साथ नहीं रह पाएंगे परिवार-पत्नी..! ऑस्ट्रेलिया की हार के बाद BCCI का फैसला महाकुंभ में साध्वी बनकर रह रहीं Apple फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी, भारतीय बुद्धिजीवियों को दिख रहा 'पाखंड'