मोहिनी एकादशी का व्रत वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को प्रभु श्री विष्णु के निमित्त रखा जाता है। इस बार यह व्रत 19 मई को रखा जाएगा। वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि 18 मई को प्रातः 11 : 23 मिनट पर शुरू होगी तथा इस तिथि का समापन 19 मई, रविवार को दोपहर 01:50 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर मोहिनी एकादशी व्रत 19 मई, 2024 को रखा जाएगा। इस बार मोहिनी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि, लक्ष्मी नारायण, शुक्र आदित्य योग पड़ने से भक्तों को भक्तों को विष्णु भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होगी। इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की उपासना की जाएगी। वही इस दौरान इस आरती के साथ अपनी पूजा संपन्न करें... श्री विष्णु जी की आरती: ॐ जय जगदीश हरे ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे। भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥ जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का। सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥ मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी। तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥ तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥ पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥ तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥ तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥ दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥ विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥ तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा। तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥ जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे। कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥ श्री बृहस्पतिवार की आरती- ॐ जय बृहस्पति देवा- ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा। छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी। जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता। सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े। प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी। पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो। विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। श्री बृहस्पतिवार की आरती, ॐ जय बृहस्पति देवा। ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा। छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी। जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता। सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े। प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी। पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो। विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। कब है बुद्ध पूर्णिमा और क्या करें इस दिन? यहाँ जानिए आज ही कर दें इन 3 चीजों का त्याग, जीवन भर तरक्की करेंगे आप वार्षिक चंदनोत्सव के लिए तैयार सिंहाचलम मंदिर, साल में सिर्फ एक दिन होते हैं भगवान नरसिंह के दर्शन, भक्त प्रह्लाद ने करवाया था निर्माण