सिर्फ नाम के CM रहेंगे केजरीवाल..! ना दफ्तर जा सकेंगे, ना फाइल साइन कर सकेंगे

नई दिल्ली: दिल्ली शराब घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत प्रदान की है, जिसके बाद वे 13 सितंबर 2024 को तिहाड़ जेल से बाहर आ जाएंगे। केजरीवाल को गिरफ्तारी के 177 दिनों के बाद जमानत मिली है, जिसमें से 21 दिन उन्हें चुनाव प्रचार के लिए जमानत दी गई थी। इस तरह, वे कुल 156 दिन जेल में बिताने के बाद बाहर आ रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयाँ शामिल थे, ने केजरीवाल की जमानत याचिका पर फैसला सुनाया। केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी और जमानत की मांग की थी। कोर्ट ने जमानत की शर्तें तय की हैं, केजरीवाल को 10-10 लाख रुपये के दो मुचलके भरने होंगे। केजरीवाल को दिल्ली शराब घोटाले पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी करने की अनुमति नहीं होगी। वे मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय में नहीं जा सकेंगे और सरकारी फाइलों पर दस्तखत नहीं कर सकेंगे। उन्हें ट्रायल कोर्ट की हर सुनवाई में उपस्थित होना होगा। इसके साथ ही केजरीवाल को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि, जमानत पर रहते हुए वे केस से जुड़े गवाहों से संपर्क नहीं करेंगे।

CBI की गिरफ़्तारी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी थी और इसमें कोई प्रक्रियागत अनियमितता नहीं थी। हालांकि, जस्टिस भुइयाँ ने गिरफ्तारी की आवश्यकता पर अलग राय व्यक्त की, यह देखते हुए कि CBI ने 22 महीने तक केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं किया और उनकी रिहाई के ठीक पहले उन्हें गिरफ्तार किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को ED मामले में भी केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी, और अब उन्होंने CBI के मामले में भी जमानत प्राप्त की है। कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि केजरीवाल को मुकदमे में सहयोग देना होगा और किसी भी सार्वजनिक टिप्पणी से बचना होगा।

दिल्ली शराब नीति घोटाले में आरोप है कि दिल्ली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 में कथित भ्रष्टाचार किया गया और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुँचाया गया। जांच के आदेश जारी होते ही, यह नीति बाद में रद्द कर दी गई थी, और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। 

अब सवाल यह उठता है कि केजरीवाल को इस तरह की जमानत मिलने के बाद उनका कार्यकारी कार्य कैसा होगा? वे न तो सीएम ऑफिस जा सकते हैं और न ही सरकारी फाइलों पर दस्तखत कर सकते हैं, जिससे उनकी कार्यक्षमता पर असर पड़ेगा। हालांकि, वे इस दौरान राजनीतिक बयानबाज़ी और चुनाव प्रचार जारी रख सकते हैं, जो हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में शुरू हो चुका है। यह स्थिति दिल्ली की जनता के लिए उनकी कार्यक्षमता पर सवाल खड़ा करती है।

लड्डू चोरी के आरोप में प्रिंसिपल ने 2 बहनों को स्कूल से निकाला बाहर और...

1931 में 4147 जातियां थीं, आज 46 लाख से अधिक! किसने बना दी नई जातियां

15 वर्षीय लड़की का 6 नाबालिग लड़कों ने किया गैंगरेप, चौंकाने वाला है मामला

Related News